
सईद अहमद और मिर्ज़ा ए॰ बी बेग द्वारा अनुवादित
सईद अहमद सईद अहमद पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार, लेखक हैं। आपके कॉलम पाकिस्तान के अखबारों में निरन्तर चर्चा में रहते हैं। इनके कई टेलीविज़न ड्रामे बहुत मक़बूल हुए जिनमें 'राख', 'चमक', 'शिनाख्त ' और 'आठ कनाल की जन्नत' हैं, लाहौर में इनके स्कूल के आस-पास तीन सिनेमाघर थे, जिनमें हिन्दुस्तानी फिल्में ‘अन्दाज़', 'बरसात' और 'आन' साल भर चलती रही थीं। सईद अहमद ने सिनेमाघर को अपना स्कूल बना लिया और फिल्म 'दाग' उन्होंने तीस बार देखी। 'देवदास' का दिलीप कुमार उनके दिमाग पर इस तरह छा गया कि जिस तरह देवदास के दिमाग़ पर पार्वती छा जाती है । विद्यार्थी जीवन के दौरान मैक्सिम गोर्की की फिल्म 'माँ' देखते हुए सईद अहमद ने लेखक बनने का निर्णय लिया और वे आज तक अपने निर्णय पर क़ायम हैं । सईद अहमद के कालम हों या नाटक वह राजनितिक विषयों (विशेष रूप से पाकिस्तान) में प्रगतिशील विचारों के लिए चर्चित होते हैं। यह पुस्तक 'अहदनामा-ए-मोहब्बत' पाकिस्तान में इस कदर पसन्द की गयी कि जैसे भारत की साठ बरस की फिल्मी तारीख की दास्तान है।