शेरजंग गर्ग

शेरजंग गर्ग

शेरजंग गर्ग जन्म : 29 मई, 1937, देहरादून (उत्तरांचल) अनुभव : पिछले लगभग पैंतालीस वर्षों से पत्रकारिता, साहित्यिक लेखन, प्रसारण, प्रबन्धन एवं प्रशासन के विविध क्षेत्रों में कार्य। प्रकाशित कृतियाँ : चन्द ताज़ा गुलाब तेरे नाम, क्या हो गया कबीरों को (कविताएँ), स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी कविता में व्यंग्य, व्यंग्य के मूलभूत प्रश्न (आलोचना) बाज़ार से गुज़रा हूँ, दौरा अन्तर्यामी का (व्यंग्य), सुमन बाल गीत, अक्षर गीत, नटखट गीत, गुलाबों की बस्ती, शरारत का मौसम, पक्षी उड़ते फुर फुर, कुर पशु चलते हैं धरती पर, गीतों के इन्द्रधनुष, गीतों के रसगुल्ले, यदि पेड़ों पर उगते पैसे, गीतों की आँख मिचौली, नटखट पप्पू का संसार (श्री ब्रह्मदेव के साथ), भालू की हड़ताल, सिंग बर्ड सिंग, चहक भी ज़रूरी : महक भी ज़रूरी (सुश्री प्रभाकिरण जैन के साथ) (बालसाहित्य) ग़ज़लें ही ग़ज़लें नया ज़माना नयी ग़ज़लें, मुक्तक और रुबाइयाँ, ग़ज़लें रंगारंग, कवियों की शायरी, बीरबल ही बीरबल (सम्पादित), हिन्दी में काम अगणित आयाम (हिन्दी कार्यान्वयन), गोपाल कृष्ण कौल द्वारा सम्पादित 'ग़ज़ल सप्तक' में एक कवि। लोकप्रिय गीतकारों, यथा दुष्यंत कुमार, गोपालदास नीरज, वीरेंद्र मिश्र, गिरिजा कुमार माथुर, रामावतार त्यागी के संकलनों एवं 'हिन्दी ग़ज़ल शतक' का सम्पादन। हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा साहित्यकार सम्मान एवं श्रेष्ठ बाल साहित्य के लिए दो बार पुरस्कृत। प्रथम 'गोपाल प्रसाद व्यास व्यंग्यश्री पुरस्कार' से सम्मानित। 'काका हाथरसी हास्य रत्न सम्मान' से अलंकृत। बेकल उत्साही : जीवनवृत्त नाम : बेकल उत्साही लोदी मोहम्मद शफ़ी खाने जन्मतिथि एवं स्थान : 1 जून, 1928, ग्राम-गौर रामवापुर, तहसील अतरौला, जिला गौंडा, पिता स्वर्गीय लोदी मोहम्मद ज़फ़र (खान बहादुर) शिक्षा : इंटरमीडिएट (प्रथम श्रेणी), विशेष योग्यता, विशारद मुंशी (हिन्दी) इलाहाबाद आदि व्यवसाय : खेती-बाड़ी। उपनाम का इतिहास :बेकल उत्साही उपनाम की भी अपनी कहानी है जो उन्हें 1949 में एक मुस्लिम संत द्वारा प्रदत्त किया गया। और उत्साही नाम उन्हें पंडित नेहरू ने एक आयोजन में उनका काव्यपाठ सुनकर प्रदान किया। यह घटना 1952 की है। साहित्यिक योगदान : बापू का सपना (1950), नग़माओ तरन्नुम (1952), विजय बिगुल (1952 में उर्दू में), निशाते जिन्दगी (1957 में उर्दू में), सुरूरे जाविदाँ (1966 में उर्दू में), पुरवाइयाँ (1976 में उर्दू ग़ज़ल संग्रह), चहके बगिया महके गीत (1966) कोमल मुखड़े बेकल गीत (1976), अपनी धरती चाँद का दर्पण (1977), ग़ज़ल साँवरी (1984), रंग हजारों खुशबू एक (1990), मिट्टी, रेत, चट्टान (1992), अंजुरि भर अन्जोर, ग़ज़ल गंगा, धरती सदा सुहागिन, लफ़्ज़ों की घटाएँ आदि। •अनेक हिन्दी-उर्दू साहित्यिक संस्थाओं के संस्थापक सदस्य। • भारत सरकार की भाषाई सलाहकार समितियों के सदस्य। • 1986 में उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्य के रूप में चुने गए। सम्मान एवं पुरस्कार : •1946 में पद्मश्री से अलंकृत। •1955 में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रगीत अवार्ड से सम्मानित। •इसके अतिरिक्त लगभग दो दर्जन राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित-पुरस्कृत। विदेश यात्राएँ : • विभिन्न साहित्यिक आयोजनों में विश्व के अनेक देशों की यात्राएँ। • ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, मिश्र, कनाडा, मॉरिशस आदि-आदि बीसियों देशों की यात्राएँ। •हिन्दी-उर्दू में समान रूप से लोकप्रिय, प्रशंसनीय एवं सम्मानित कवि, गीतकार, एवं गज़लकार। विशेष : डॉ. रज़िया हामिद के संपादन में 'फिक्रो-आगही' का बेकल उत्साही विशेषांक।

Books from the Author

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟