
अरुणा मुकिम
हिन्दी साहित्य में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। कई वर्षों से लेखन में संलग्न हैं। आप एक प्रखर वक्ता एवं विचारक हैं। आम आदमी के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्षरत रहती हैं। सी.बी.एफ.सी. की पूर्व सदस्या भी रही हैं। दैनिक जीवन से जुड़े सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर होने वाली चर्चाओं में सक्रिय भाग लेती रहती हैं। अनेक पुस्तकों की लेखिका भी हैं। ‘दक्षायणी’ इनका प्रथम उपन्यास है। इसमें शिव-सती की पौराणिक कथा को एक व्यापक सन्दर्भ में देखा गया है।