मन्मथनाथ गुप्त

मन्मथनाथ गुप्त

क्रांतिकारी और लेखक मन्मथनाथ गुप्त का जन्म 7 फरवरी 1908 को वाराणसी में हुआ था। उनके पिता वीरेश्वर विराटनगर (नेपाल) में एक स्कूल के हेडमास्टर थे। इसलिए मन्मथनाथ गुप्त ने भी दो वर्ष वहीं शिक्षा पाई। बाद में वे वाराणसी आ गए। उस समय के राजनीतिक वातावरण का प्रभाव उन पर भी पड़ा और 1921 में ब्रिटेन के युवराज के बहिष्कार का नोटिस बाँटते हुए गिरफ्तार कर लिए गए और तीन महीने की सजा हो गई। जेल से छूटने पर उन्होंने काशी विद्यापीठ में प्रवेश लिया और वहाँ से विशारद की परीक्षा उत्तीर्ण की। तभी उनका संपर्क क्रांतिकारियों से हुआ और मन्मथ पूर्णरूप से क्रांतिकारी बन गए। 1925 के प्रसिद्ध काकोरी कांड में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। ट्रेन रोककर ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने वाले 10 व्यक्तियों में वे भी सम्मिलित थे। इसके बाद गिरफ्तार हुए, मुकदमा चला और 14 वर्ष के कारावास की सजा हो गई। ये मात्र 13 वर्ष की आयु में ही स्वतन्त्रता संग्राम में कूद गये और जेल गये। बाद में वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य भी बने। लेखन कार्य लेखन के प्रति उनकी प्रवृत्ति पहले से ही थी। जेल जीवन के अध्ययन और मनन ने उसे पुष्ट किया। छूटने पर उन्होंने विविध विधाओं में विपुल साहित्य की रचना की। उनके प्रकाशित ग्रंथों की संख्या 80 से अधिक है। निधन प्रसिद्ध क्रांतिकारी और सिद्धहस्त लेखक मन्मथनाथ गुप्त का निधन 26 अक्टूबर 2000 में हुआ।

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