
कामना चन्द्रा
कामना चन्द्रा का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहाँ शिक्षा और पुस्तकों को माँ सरस्वती का आशीर्वाद माना जाता था। उनके अध्यापक पिता और गृहिणी माँ ने अपनी तीन बेटियों और बेटे को सदैव यही सिखाया कि यदि जीवन में कुछ करना है, आगे बढ़ना है तो लक्ष्य प्राप्ति का एकमात्र मार्ग है-शिक्षा, ज्ञान अर्जन के प्रति आस्था, श्रद्धा और विश्वास। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी, अंग्रेज़ी साहित्य में बी.ए. और फिर हिन्दी साहित्य में एम.ए. करने के पश्चात् विवाह और घर-गृहस्थी की ज़िम्मेदारी उठाने के साथ ही, अपने अनुभवों और हृदय की भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए उन्होंने कलम उठा ली और लिखना शुरू कर दिया। 'सरिता', 'सारिका', 'फेमिना', 'धर्मयुग' आदि पत्रिकाओं में लेख, कहानियाँ प्रकाशित हुए। इसके साथ ही ऑल इंडिया रेडियो, नयी दिल्ली के लिए वार्ता, कहानी और नाटक लिखने का सिलसिला भी चलता रहा। जब उनके पति श्री नवीन चन्द्रा का तबादला दिल्ली से मुम्बई हुआ तब जैसे उनके प्रमोशन के साथ कामना के काम को भी नयी दिशा मिल गयी। ऑल इंडिया रेडियो, मुम्बई के लिए नाटक, कहानी, वार्ता, लिखने के अलावा 'विविध भारती' के लोकप्रिय कार्यक्रम 'हवामहल’ के लिए अनेक नाटक लिखे। 'मुम्बई दूरदर्शन' के बहुत-से कार्यक्रमों में भाग लेने का मौक़ा मिला। इसके साथ ही ‘प्राइड एंड प्रेजूडिस' उपन्यास पर आधारित 'तृष्णा' और 'कशिश' धारावाहिक लिखे, जिनका प्रसारण ‘मुम्बई दूरदर्शन’ द्वारा किया गया। इसके बाद ‘कुछ इस तरह', 'औलाद', 'तमन्ना', 'वो रहने वाली महलों की' आदि धारावाहिक टी.वी. पर प्रसारित हुए। कामना को इतना प्रोत्साहन मिला कि सोचने लगी... क्या मेरी कहानी पर फ़िल्म बन सकती है? कहते हैं कभी-कभी सपने सच हो जाते हैं। राज कपूर जी को उनकी एक कहानी इतनी अच्छी लगी कि उस पर फ़िल्म बनाने का निर्णय ले लिया। 'प्रेम रोग' की लोकप्रियता और सफलता के बाद यश चोपड़ा की 'चाँदनी' की धूम ने कामना चन्द्रा के लेखन को पंख दे दिये। विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म '1942 : ए लव स्टोरी' और 'करीब' के लिए कहानी के अलावा पटकथा और संवाद भी लिखे। अरुणा राजे की फ़िल्म 'भैरवी' की कहानी, पटकथा तथा संवाद लिखने का अवसर मिला तथा तनुजा चन्द्रा के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'क़रीब-क़रीब सिंगल' कामना के लिखे एक रेडियो प्ले पर आधारित है।