
विशाल बाग
विशाल बाग़ कश्मीर में जन्मे विशाल बाग़ पेशे से इंजीनियर हैं और ग़ज़ल से मुहब्बत करते हैं। आसान अल्फ़ाज़ में पिरोया नर्म लहजा उनकी शायरी की ख़ासियत है। कश्मीरी, हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, मराठी और गुजराती आदि ज़बानों की अच्छी जानकारी ने उनकी शायरी को एक खुला कैनवस दिया है और यही वजह है कि वो शेर बड़ी ज़िम्मेदारी से कहते हैं। उनकी ग़ज़लें; सोशल मीडिया, मुशायरों, पत्र-पत्रिकाओं के ज़रिये लोगों तक पहुँचती रहती हैं। वीराने तक जाना है उनकी पहली किताब है। विशाल अब अपने परिवार के साथ पुणे में रहते हैं और वहीं एक आई. टी. कम्पनी में काम करते हैं।