
विनोद कुमार शुक्ल
विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को राजनांदगाँव, मध्य प्रदेश में हुआ। इनका पहला कविता-संग्रह लगभग जयहिन्द 'पहचान सीरीज़' के अन्तर्गत 1971 में प्रकाशित हुआ था और दूसरा वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर विचार की तरह 1981 में इसी संग्रह के लिए 1981 में इन्हें 'रज़ा पुरस्कार' प्राप्त हुआ। इनका पहला उपन्यास नौकर की क़मीज़ 1979 में छपा। 1988 में 'पूर्वग्रह सीरीज़' में इनकी कहानियों का संग्रह पेड़ पर कमरा प्रकाशित हुआ। फिर सब कुछ होना बचा रहेगा कविता-संग्रह 1992 में। इस संग्रह को 1992 में 'रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार' मिला। विनोद कुमार शुक्ल दो वर्ष के लिए 'निराला सृजनपीठ' में जून 1994 से जून 1996 तक अतिथि साहित्यकार रहे। 'निराला सृजनपीठ' में रहते हुए इन्होंने खिलेगा तो देखेंगे तथा दीवार में एक खिड़की रहती थी उपन्यास लिखे । 1996 में ही महाविद्यालय कहानी-संग्रह प्रकाशित। देश-विदेश की कुछ भाषाओं में इनकी कई रचनाओं के अनुवाद हुए। 1997 में इन्हें 'दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान' प्राप्त हुआ। 1998 में मेरियोला आफ्रीदी द्वारा इतालवी में अनुवादित एक कविता-पुस्तक का इटली में प्रकाशन, और इतालवी में ही पेड़ पर कमरा का भी अनुवाद। मणि कौल द्वारा 1999 में नौकर की क़मीज़ पर फिल्म का निर्माण । दीवार में एक खिड़की रहती थी के लिए 1999 का 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार' । 2 मार्च 2023 को इन्हें प्रतिष्ठित 'पेन नाबोकोव पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। ये इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफ़ेसर रहे तथा 1996 में सेवानिवृत्त हुए। विनोद कुमार शुक्ल रायपुर, मध्य प्रदेश में निवास करते हैं।