Aadivasi Morcha

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आदिवासी जनजीवन हमारी परम्परा और संस्कृति का संवाहक है। बहुमुखी बोलियों और भाषाओं से भारत देश पहचाना जाता है। प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए जंगल में रहकर प्रकृति से तादात्म्य स्थापित करने वाले आदिवासी आज भी अपने गीत-संगीत, नृत्य, चित्रकला, रहन-सहन, वेश-भूषा, अलंकार, बोली- वाणी और लिपि आदि विशेषताओं को सँजो रहे हैं।\n\nसाहित्य के क्षेत्र में आज विभिन्न विधाओं पर लेखन संशोधन कार्य किया जा रहा है, कर रहे हैं। परन्तु सच्चाई यह भी है कि पौराणिक काल से लेकर आज़ादी के आन्दोलन तक आदिवासियों के बलिदान और महत्त्वपूर्ण योगदान को हमारे तथाकथित इतिहास लेखन और प्रचलित मुख्यधारा के समाज ने इन्हें असुर, दानव, राक्षस, असभ्य कहकर कोसों दूर हाशिये पर रखा । परिणामस्वरूप आदिवासी समाज भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित, अज्ञान- अशिक्षा, रूढ़ि- परम्परा और अन्धविश्वास के कुचक्र में फँस कर रह गया। आज तो वैश्वीकरण की अन्धी दौड़ में उसका अस्तित्व ही खतरे में आ गया है।\n\nगुरुवर्य भगवान गव्हाडे एक संवेदनशील कवि, कहानीकार, फिल्म लेखक, शोध-निर्देशक तथा सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कई मोर्चों पर काम कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में अध्यापन करते-करते उन्होंने अपना सृजनात्मक लेखन भी जारी रखा है। उनकी कविताएँ एकलव्य की भाँति स्वानुभूति की भट्ठी से तपकर आयी हैं। इसीलिए उनकी कविता आदिवासी त्रासदपूर्ण जीवन के आक्रोश को व्यापक जनआन्दोलन का रूप प्रदान करती हैं और हिन्दी कविता की एक नयी परिभाषा गढ़ते हुए समसामयिक प्रश्नों पर सीधा प्रहार भी करती हैं\n\n-करिश्मा पठाण ( युवा साहित्यकार तथा समीक्षक)

भगवान गव्हाडे जन्म : 11 जून 1976, राजापुर, तहसील: औंढा (नागनाथ), जिला : हिंगोली (महाराष्ट्र) शिक्षा : एम.ए., एम.फिल., पीएच.डी., नेट (हिन्दी) प्रकाशित कृतियाँ : कमलेश्वर के उपन्यासों में नारी, समकालीन हिन्दी साहित्य : विविध विमर्श, सामयिक साहित्य : चिन्तन के आयाम, हिन्दी साहित्य : बाज़ार से बाज़ारवाद तक । विशेष : आकाशवाणी, दूरदर्शन पर गायन, नाट्याभिनय तथा शैक्षिक परिचर्चा । - इन्दिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नयी दिल्ली से ज्ञान दर्शन चैनल पर अध्यापन । - यू.जी.सी. अकादमिक स्टाफ कॉलेज डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय में पुनश्चर्या, पुनर्नवा पाठ्यक्रम में व्याख्यान तथा परीक्षक के रूप में कार्य । - राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में बीज भाषण, विषय प्रवर्तन शोध-आलेख वाचन तथा सहभागिता । पुरस्कार : भारतीय दलित साहित्य अकादमी, नयी दिल्ली द्वारा डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर फेलोशिप अवार्ड 2010 सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक, डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद -431004 मोबाइल : 09604500465 ई-मेल: gavhade.bn@rediffmail.com

डॉ. भगवान गव्हाडे

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