उर्दू के प्रसिद्ध आलोचक उस्लूब अहमद अंसारी इस उपन्यास की गिनती उर्दू के 15 \nश्रेष्ठ उपन्यासों में करते हैं जबकि शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी का कहना है कि इस नॉवेल \nपर अब तक जितनी तवज्जो दी गयी है वो इससे ज्यादा का मुस्तहिक़ है। भारत \nविभाजन के विषय पर यह बहुत ही सन्तुलित उपन्यास अपनी मिसाल आप है।
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