आखर अरथ - \nदिनेश कुमार शुक्ल शब्द और मनुष्य की समेकित संस्कृति के संश्लिष्ट कवि हैं। जीवन के द्वन्द्व से उत्पन्न आलाप उनकी कविताओं में एक स्वर समारोह की तरह प्रकट होता है। विभिन्न संवेदनाओं से संसिक्त दिनेश कुमार शुक्ल की रचनाएँ अति परिचित समय का कोई अ-देखा चेहरा उद्घाटित करती हैं। 'आखर अरथ' की कविताएँ समकालीन हिन्दी कविता के अन्तःकरण का आयतन विस्तृत करते हुए उसे कई तरह से समृद्ध करती हैं। 'एक आम एक नीम' की ये पंक्तियाँ जैसे कवि-कर्म के तत्त्वार्थ का निर्वाचन हैं— ‘धरती के भीतर से वह रस ले आना है/ जिसको पीकर डालों के भीतर की पीड़ा/ पीली-पीली मंजरियों में फूट पड़ेगी।'\n'कबिहि अरथ आखर बल साँचा' के काव्य-सिद्धान्त को दिनेश कुमार शुक्ल ने आत्मसात किया है। प्रस्तुत संग्रह की कविताओं 'नया धरातल', 'काया की माया रतनजोति', 'चतुर्मास', 'तुम्हारा जाना', 'विलोम की छाया', 'मिट्टी का इत्र', 'दुस्साहस', 'आखर अरथ', 'वापसी' और 'रहे नाम नीम का' आदि में शब्द केवल संरचना का अंग नहीं हैं, वे रचनात्मक सहयात्री भी हैं। प्रायः अर्थहीनता के समय में कवि दिनेश कुमार शुक्ल की यह वागर्थ सजगता उन्हें महत्त्वपूर्ण बनाती है। निराला की पंक्ति— 'एक-एक शब्द बँधा ध्वनिमय साकार' की कई छवियाँ 'आखर अरथ' संग्रह को ज्योतित करती हैं। वर्तमान 'तुमुल कोलाहल कलह' में कवि दिनेश हृदय की बात कहते शब्द पर भरोसा करते हैं। वे उन सरल और बीहड़ अनुभवों में जाना चाहते हैं, 'जहाँ मिलेगा शायद अब भी एक शब्द जीवन से लथपथ'। ये कविताएँ बहुरूपिया समय में सक्रिय विदुष और विदूषक के बीच जीवन-विवेक की उजली रेखा खींचती हैं।\nस्मृति, विस्मरण, आख्यान और मितकथन से लाभान्वित इन कविताओं में 'आर्ट ऑफ़ रीडिंग' है। शिल्प की लयात्मक उपस्थिति से रचनाएँ आत्मीय बन गयी हैं।\n'आखर अरथ' कविता-संग्रह का प्रकाशन निश्चित रूप से एक सुखद घटना है।
दिनेश कुमार शुक्ल - हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि। जन्म: वर्ष 1950 में नर्बल ग्राम, ज़िला कानपुर (उ.प्र.) में। शिक्षा: एम.एससी., डी.फिल. फ़िज़िक्स, इलाहाबाद विश्वविद्यालय। प्रकाशित रचनाएँ: कविता संग्रह 'समयचक्र' (1997), 'कभी तो खुलें कपाट' (1999), 'नया अनहद' (2001), 'कथा कही कविता' (2005), 'ललमुनिया की दुनिया' (2008), 'आखर अरथ' (2009) और प्रस्तुत कृति 'समुद्र में नदी' (2011)। काव्यानुवाद— पाब्लो नेरूदा की कविताएँ (1989)। कुछ आलोचनात्मक गद्य, समीक्षाएँ, टिप्पणियाँ और निबन्ध सम्मान : 'केदार सम्मान' तथा 'सीता स्मृति सम्मान'।
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