‘आस’ में बशीर बद्र की रचनात्मकता का उत्कृष्ट रूप मौदूज है। साहित्य अकादमी से सम्मानित यह संग्रह उनकी कुछ नई गज़लों के साथ पहली बार देवनागरी में प्रकाशित हो रहा है। अपनी तशीर में बशीर बद्र की गज़लें नन्ही दूब पर अटकी हुई ओस की बूँद और सर्दी में पेड़ की फुगनी पर उतरती हुई मुलायम धूप की तरहा है। यहाँ प्रकृति आदमी के एहसास का हिस्सा है। उन्होने शायरी को सर्वथा नए प्रकृति-बिम्बों से समृध्द किस है। लेकिन उनकी गज़लों में जो छाया-प्रकाश के रुओ-रंगों की सहरकारी है,उसकी तह में हमारे दौर के क्रूर सवाल भी मौजूद हैं।
डॉ॰ बशीर बद्र (जन्म 15 फरवरी 1935) को उर्दू का वह शायर माना जाता है जिसने कामयाबी की बुलन्दियों को फतेह कर बहुत लम्बी दूरी तक लोगों की दिलों की धड़कनों को अपनी शायरी में उतारा है। साहित्य और नाटक आकेदमी में किए गये योगदानो के लिए उन्हें 1999 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। डॉ॰ बशीर बद्र जिसने कामयाबी की बुलन्दियों को फतेह कर बहुत लम्बी रेंज के लोगों के दिलों की धड़कानों को अपनी शायरी में उतारा है। इनका पूरा नाम सैयद मोहम्मद बशीर है। भोपाल से ताल्लुकात रखने वाले बशीर बद्र का जन्म कानपुर में हुआ था। आज के मशहूर शायर और गीतकार नुसरत बद्र इनके सुपुत्र हैं।डॉ॰ बशीर बद्र 56 साल से हिन्दी और उर्दू में देश के सबसे मशहूर शायर हैं। दुनिया के दो दर्जन से ज्यादा मुल्कों में मुशायरे में शिरकत कर चुके हैं। डॉ॰ बशीर बद्र (जन्म 15 फरवरी 1935) को उर्दू का वह शायर माना जाता है जिसने कामयाबी की बुलन्दियों को फतेह कर बहुत लम्बी दूरी तक लोगों की दिलों की धड़कनों को अपनी शायरी में उतारा है। साहित्य और नाटक आकेदमी में किए गये योगदानो के लिए उन्हें 1999 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। डॉ॰ बशीर बद्र जिसने कामयाबी की बुलन्दियों को फतेह कर बहुत लम्बी रेंज के लोगों के दिलों की धड़कानों को अपनी शायरी में उतारा है। इनका पूरा नाम सैयद मोहम्मद बशीर है। भोपाल से ताल्लुकात रखने वाले बशीर बद्र का जन्म कानपुर में हुआ था। आज के मशहूर शायर और गीतकार नुसरत बद्र इनके सुपुत्र हैं।डॉ॰ बशीर बद्र 56 साल से हिन्दी और उर्दू में देश के सबसे मशहूर शायर हैं। दुनिया के दो दर्जन से ज्यादा मुल्कों में मुशायरे में शिरकत कर चुके हैं।
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