काव्यों में नाटक सुन्दर माने जाते हैं ; नाटकों में "अभिज्ञान शाकुन्तल' सबसे श्रेष्ठ है ; शाकुन्तल में भी चौथा अंक और उस अंक में भी चार श्लोक अनुपम हैं। एक अनुभवी और विद्वान् आलोचक के इस कथन के बाद 'अभिज्ञान शाकुन्तल' के बारे में और यह कहा जा सकता है कि भारत की गोस्वशाती और समृद्ध परम्परा, सांस्कृतिक वैभव, प्रकृति के साथ मानवीय अंतरंगता, यहाँ तक कि वन्य जीवों के साथ भी बन्धुत्व की भावना-इन सबका महाकवि कालिदास ने इस नाटक में जैसा वर्णन किया है, वह वास्तव में अनुपम है। विश्व की अनेक भाषाओं में "अभिज्ञान शाकुन्तल' का अनुवाद हुआ है और सभी ने इसकी मुक्त की से प्रशंसा की है।
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