साधारण समाज की रगों से निचुड़ा खून-पसीना राजनीति की मशीन में पहुँच कर किस प्रकार एक 'भव्य अभिनन्दन' बन कर 'कुछ' व्यक्तियों की सत्ता का आधारस्तम्भ बन जाता है-इस कटु तथ्य के आस-पास बुने ताने-बाने से यह उपन्यास-कृति निर्मित है। ...सभी चेहरे हमारे-आपके जाने-पहचाने से लगते हैं। नाम कुछ और होंगे, जगहें कुछ और होंगी...घटनाओं का क्रम भी इसी प्रकार न हो तो क्या हुआ? हमारी सामाजिक-साहित्यिक-राजनीतिक विडम्बना-भरी जिन्दगी पर एकदम अछूता और करारा व्यंग्य।
नागार्जुन - प्रख्यात कवि-कथाकार के रूप में चर्चित नागार्जुन का पूरा नाम श्री वैद्यनाथ मिश्र 'यात्री', ‘नागार्जुन’ है। 1911 की ज्येष्ठ पूर्णिमा को जन्मे नागार्जुन का मूल निवास स्थान तरौनी, जिला दरभंगा (बिहार) है। अनेक उपन्यास हिन्दी और मैथिली की 'क्लासिक' परम्परा में आ चुके हैं। कई काव्य-संग्रह प्रगतिशील साहित्य के आधार स्तम्भ हैं। मैथिली काव्य-संग्रह पत्रहीन नग्न गाछ को 1968 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिल चुका है। प्रकाशित कृतियाँ : युगधारा, सतरंगे पंखोंवाली, प्यासी पथराई आँखें, खिचड़ी विप्लव देखा हमने, तुमने कहा था, हज़ार-हज़ार बाँहों वाली, पुरानी जूतियों का कोरस, रत्नगर्भ, ऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या!, आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने (हिन्दी कविता-संग्रह); चित्रा, पत्रहीन नग्न गाछ (मैथिली कविता-संग्रह); भस्मांकुर ( हिन्दी खण्ड काव्य); रतिनाथ की चाची, बलचनमा, नई पौध, बाबा बटेसरनाथ, वरुण के बेटे, दुखमोचन, कुम्भीपाक, अभिनन्दन, उग्रतारा, इमरतिया, पारो (हिन्दी उपन्यास); पारो, बलचनमा, नव-तुरिया (मैथिली उपन्यास); एक व्यक्ति एक युग निराला (समीक्षात्मक जीवनी); मर्यादा पुरुषोत्तम (जीवनी); बमभोलेनाथ, अन्नहीनम् क्रियाहीनम् (स्फुट निबन्ध-संग्रह); आसमान में चन्दा तैर (कहानी-संग्रह); गीत गोविन्द, मेघदूत, विद्यापति के गीत, विद्यापति की कहानियाँ (अनुवाद) । निधन : 5 नवम्बर 1998 ।
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