यह पुस्तक आधुनिक भारतीय रंगलोक के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी रंगकर्म के विविध पक्षों का विवेचन-विश्लेषण करते हुए उसके अनेक महत्त्वपूर्ण सैद्धान्तिक प्रश्नों के व्यावहारिक उत्तर तलाशने का प्रयत्न करती है। चर्चित नाट्यालोचक डॉ. जयदेव तनेजा ने इसमें रंगमंच के बहुचर्चित पहलुओं को नये कोण से देखने तथा उसके अछूते आयामों को उद्घाटित किया है। हिन्दी नाट्य-समीक्षा में सम्भवतः पहली बार नाट्यालेखों के बजाय नाट्य प्रस्तुतियों की अध्ययन का प्रमुख आधार बनाया गया है।
जयदेव तनेजा अध्यापन, पत्रकारिता, सम्पादन, आकाशवाणी. टेलीविज़न और रंगकर्म से जुड़े नाट्यालोचक । जन्म : 15 मार्च, 1943 शिक्षा : एम. लिट्., पीएच. डी. (दिल्ली विश्व विद्यालय ) ।
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