कहानियों के मैदान में लड़कों की दादागिरी ही क्यों चले। ऐसी कौन सी शैतानी है जो लड़कियाँ नहीं कर सकतीं? मस्ती के कौन से मैदान में लड़कियाँ अपनी धाक नहीं जमा सकतीं? वैसे समझने की बात यह भी है कि लड़कियों की टीम में दादी-नानी, माँ-मौसी, चाची-मामी सब आती हैं। तभी तो ‘आदी पादी दादी’ की कहानियों में मुख्य भूमिका निभाई है लड़कियों ने और दादी, नानी, माँ, मौसी, चाची-मामी, दीदी, छुटकी सब की सब लड़कियाँ ही तो हैं। \n\nहाँ, कहीं-कहीं लड़कों को भी भूमिका या रोल दिए गए हैं लेकिन वे सहायक भूमिकाओं में हैं जिन्हें फिल्मी भाषा में कहा जाता है वैसे लड़कियों की दुनिया की इन कहानियों को पढ़ कर लड़कों को भी पूरा मजा आएगा, क्योंकि इन कहानियों की हीरो या हीरोइनें उनकी भी तो दादी-नानी, माँ-मौसी, चाची-मामी, दीदी या प्यारी बहन हैं।\n\nतो शुरू कर दो पढ़ना..
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