अग्निसागर से अमृत -\nमलयालम भाषा के जनक माने जानेवाले सोलहवीं शती के कविवर तुंचत्तु एषुत्तच्छन के जीवन वृत्त और सृजन वैभव को केन्द्र बनाकर विरचित औपन्यासिक कृति है यह। \nतत्कालीन समाज, जन-जीवन, इतिहास और संस्कृति के सूक्ष्म एवं गहन अनुसन्धानपरक अध्ययन, मनन, चिन्तन और मन्थन के परिणामस्वरूप यह अमृतोपम साहित्यिक उपलब्धि हासिल हुई है। विशिष्ट संवेदना और अनोखी शिल्प-संरचना से अभिमण्डित यह कृति मात्र मलयालम साहित्य की ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य की भी अनूठी उपलब्धि है। केरल की संस्कृति के जल बिन्दु में भारतीय संस्कृति का महा-सागर ही इस कृति में प्रतिबिम्बित हो उठता है।
मूल लेखक सी. राधाकृष्णन - जन्म: 15 फ़रवरी, 1939, केरल के मलप्पुरम ज़िले के तिरूर तालुके के चम्रवट्टम गाँव में । मलयालम के बहुचर्चित एवं बहुप्रशंसित साहित्यकार। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लेखन। उपन्यास, कहानी, नाटक, कविता, बालसाहित्य, निबन्ध जैसी विधाओं में अब तक 78 (अठहत्तर) कृतियाँ प्रकाशित। 'मुन्पे परक्कुन्न पक्षिकल' (आगे उड़नेवाले पक्षी), 'करल् पिलरुं कालं’ (दिल को चीरता काल), 'एल्लां माय्क्कुन्न कटल्' (सब को मिटाता सागर), 'तीक्कटल् कटंजु तिरुमधुरं' (अग्नि सागर मन्थन से प्राप्त अमृत), सुकृतं (सुकृत) आदि आपकी उल्लेखनीय कृतियाँ हैं। केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, वयलार पुरस्कार, वाळतोल पुरस्कार, मूर्तिदेवी पुरस्कार, एषुत्तच्छन पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से विभूषित । अनुवादक परिचय एस. तंकमणि अम्मा, के. जी. बालकृष्ण पिल्लै 1. एस. तंकमणि अम्मा जन्म : 18 मार्च, 1950 तिरुवनन्तपुरम, केरल पूर्व प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्षा, हिन्दी विभाग तथा पूर्व डीन, प्राच्य अध्ययन संकाय, केरल विश्वविद्यालय। हिन्दी और मलयालम में बारह मौलिक रचनाएँ प्रकाशित। मलयालम से हिन्दी तथा हिन्दी से मलयालम कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास जैसी विधाओं में पन्द्रह अनूदित कृतियाँ प्रकाशित। 300 से ज़्यादा रचनाएँ विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सौहार्द सम्मान, भारतीय अनुवाद परिषद्, दिल्ली का द्विवागीश पुरस्कार, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार सहित कई पुरस्कार। 2. के. जी. बालकृष्ण पिल्लै जन्म: 1934 - मृत्यु : 2015 । केरल हिन्दी प्रचार सभा, तिरुवनन्तपुरम के पूर्व अध्यक्ष। केरल ज्योति मासिक पत्रिका के सुदीर्घ काल तक सम्पादक। हिन्दी में कविता और निबन्ध लेखन। हिन्दी से मलयालम तथा मलयालम से हिन्दी में कई कृतियों के अनुवाद प्रकाशित। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार प्राप्त ।
सी. राधाकृष्णनAdd a review
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