AGLE WAQTON KE HAIN YE LOG

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संस्मरण यानी स्मरण यानी स्मृति । ये स्मृतियाँ केवल अपने प्रिय व्यक्तित्वों, महानुभावों को याद करना भर नहीं है। इनमें उन्हें याद तो किया ही गया है, साथ ही उनके प्रति गहरी कृतज्ञता का भाव भी है। संस्मरणों की प्रकृतयाः विशिष्टता है कि इनमें पर के साथ आत्म भी आता ही है। इन संस्मरणों में भी अशोक वाजपेयी का आत्म है। इन सबके साथ ही यह आजादी के बाद का जीवन्त मानवीय सन्दर्भ है। यह इतिहास नहीं है, पर मनुष्य का भावात्मक इतिहास है। ‘अगले वक़्तों के हैं ये लोग’ से गुजरना हमें साहित्य, बोध, समय, कल्पना, स्मृति आदि के विशिष्ट अनुभव से आप्लावित करता है। कुछ-कुछ वैसा ही जब आप नवजात अथवा थोड़े बड़े बच्चे को गोद में लेते हैं, तो उसकी धड़कन आपकी हथेलियों पर, आपके दिल पर लगातार दस्तक देती रहती है और बच्चा जब गोद से उतर आता है, तब भी उसकी अनुभूति आपकी हथेलियों या हृदय पर बसी रहती है।

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