कोरोना ‘‘हार कहाँ मानी है मैंने रार कहाँ ठानी है संघर्षों की गाथाएँ गायी है मैंने मुझे आज भी गानी है। मैं तो अपने पथ-संघर्षों का पालन करते आया हूँ। फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं सौगंध धरा की खाया हूँ। क्यों आए तुम कोरोना मुझ तक अब तुमको तो बैरंग जाना है पूछ सको तो पूछो मुझको मैंने मन में क्या ठाना है। तुम्हें पता है मैं संघर्षों का दीप जलाने आया हूँ। फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं सौगंध धरा की खाया हूँ। हार कहाँ मानी है मैंने रार कहाँ ठानी है। मैं तिल-तिल जल मिटा तिमिर को आशाओं को बोऊँगा, नहीं आज तक सोया हूँ अब कहाँ मैं सोऊँगा! देखो, इस घनघोर तिमिर में, मैं जीवन-दीप जलाया हूँ। फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं सौगंध धरा की खाया हूँ। हार कहाँ मानी है मैंने रार कहाँ ठानी है संघर्षों की गाथाएँ गायी मुझे आज भी गानी है।’’ —रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ 6 मई, 2021, दिल्ली, एम्स कक्ष-704, प्रातः 7:00 बजे
श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का पहला काव्य-संग्रह ‘समर्पण’ सन् 1983 में प्रकाशित हुआ था। अब तक उनकी कविता, कहानी, उपन्यास, पर्यटन, व्यक्तित्व विकास विषयक कुछ 70 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। श्री ‘निशंक’ के साहित्य पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक 10 शोध एवं 12 लघुशोध कार्य हो चुके हैं और कई अन्य हो रहे हैं। उनके साहित्य का अनुवाद जर्मन, क्रिओल, स्पेनिश, फ्रैंच, नेपाली आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, बांग्ला, संस्कृत, गढ़वाली सहित देश की अनेक भाषाओं में हुआ है। उनकी रचनाएँ मॉरीशस, थाईलैंड, जर्मनी, नॉर्वे आदि देशों सहित भारत के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित की गई हैं। उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए भारत के 3 राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मान एवं 12 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों तथा प्रधानमंत्रियों द्वारा अपने देश में आमंत्रित कर सम्मान। संप्रति: शिक्षा मंत्री, भारत सरकार।.
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