यह दो दोस्तों, मेघ और हेमंत की कथा है। यह पति-पत्नी, मेघ और रंभा की और उनके बच्चों की कथा है। यह समय की कथा है, जो सबके आँगन में अपनी अलगनी बाँधता हुआ उसी पर पसर जाता है। और मन है कि वह एक संवेदना, एक विश्वास, एक डर के साथ उसी पर झूल जाता है। हाँ समय अभी रुका नहीं है। समय रुकता भी नहीं है।
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