America Aur Europe Mein Ek Bharatiya Man

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अमेरिका और यूरोप में एक भारतीय मन - \nहिन्दी के प्रख्यात लेखक एवं आलोचक प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की प्रस्तुत कृति एक मनोरम यात्रावृत्त के साथ-साथ गम्भीर चिन्तन-विश्लेषण भी है। इन संस्मरणों का लेखक अमेरिका और यूरोप की धरती पर अपने स्वदेशी संस्कारों, विचारों और भारतीय मन के साथ भ्रमण करता है और एक भिन्न संसार को वह अपने मनोलोक की सीमाओं में देखता तथा अपने परिवेश से उसकी तुलना भी करता चलता है।\nयूरोप और भारत दोनों भिन्न लोक हैं। प्रकृति और परिवेश में ही नहीं, अपनी मानसिकता और जीवन व्यवहार में भी। दोनों की भिन्नता का मूल आधार दोनों की अलग-अलग जीवन-दृष्टियाँ हैं, लेखक ने इनका प्रसंगानुसार विश्लेषण इस पुस्तक में किया है।\nइस यात्रावृत्त में कल्पना की हवाई उड़ान और शिल्प की पेचदार बुनावट नहीं है, बल्कि इसमें जीवन की वास्तविक धड़कन और सहज लय देखी जा सकती है। इस सन्दर्भ में उन्होंने राहुल सांकृत्यायन के यात्रावृत्त को अपना आदर्श माना है। पठनीयता तो इनमें है ही, सूचनात्मक और विचारोत्तेजक सामग्री भी ऐसी है जो हमें उद्वेलित ही नहीं, यूरोप को एक नये कोण से देखने और सोचने को विवश भी करती है।\nएक संवेदनशील रचनाकार द्वारा लिखे गये ये संस्मरण निश्चय ही हिन्दी के जिज्ञासु पाठकों के चित्त और तार्किक मन को सन्तुष्ट करेंगे।

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