अन्दाज़ अपना अपना - \n'अन्दाज़ अपना अपना' में श्री रमेश चन्द्र ने उर्दू शायरी के सदियों के सरमाये से ऐसे हीरे-मोती चुने हैं जिनकी आब-ओ-ताब कभी कम न होगी और जिनकी कशिश हमेशा दिल को खींचती रहेगी।\nये चुनिन्दा अशआर श्री रमेश चन्द्र के सुथरे मज़ाक़ और ज़िन्दगी भर के तज़रबे का निचोड़ हैं। इस आइना-खाने में मीर व ग़ालिब, मुसहफ़ी व मोमिन और दाग़ व फ़ानी से लेकर फ़ैज़ व फ़िराक़, शह्रयार व बशीर 'बद्र' तक सबके लहजों की गूँज सुनायी देगी। इन्तिख़ाब निहायत उम्दा और भरपूर है जिसमें ज़िन्दगी की हर झलक मिलेगी और पढ़नेवालों के लिए लुत्फ़ो-मज़े का बहुत सामान है। रमेश चन्द्र जी के ज़ौक़ो-शौक़ के पेशे-नज़र लगता है कि उनकी नज़र पूरी उर्दू शायरी पर रही है, और ज़िन्दगी के हर मोड़ पर चुभते हुए शेरों को वह जमा करते गये हैं। यूँ यह किताब एक जामे-जहाँ-नुमा बन गयी है। ज़िन्दगी, इन्सानियत, रूहानियत, सौन्दर्य, प्रेम, तसव्वुर, वतनपरस्ती, आत्म-विश्वास, मज़हब, दुनियादारी, व्यंग्य, मयक़दा हर मौज़ू पर अच्छे शेरों का ऐसा ज़ख़ीरा है कि ज़िन्दगी की हर करवट एक खुली किताब की तरह सामने आ जाती है। फूल तो बेशक बाग़ में खिलते हैं, लेकिन उनसे गुलदस्ता बनाना बाग़बान का कमाल है।—प्रस्तावना से
रमेश चन्द्र - जन्म 15 अगस्त, 1925 को नजीबाबाद (उ.प्र.) में प्रतिष्ठित साहू जैन परिवार में। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से इंडस्ट्रियल कैमेस्ट्री में स्नातक। गुरुकुल कनखल से 'विद्या वाचस्पति' की मानद उपाधि। अनेक संस्थानों से सम्बद्ध, जिनमें प्रमुख हैं—'द टाइम्स ऑफ़ इंडिया' के प्रबन्ध सम्पादक; 'नवभारत टाइम्स' के सम्पादक; भारतीय ज्ञानपीठ के प्रबन्ध न्यासी; अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद् एवं भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष; शान्तिप्रसाद जैन एडवांस्ड मैनेजमेंट रिसर्च फ़ाउंडेशन, जैन शोध-संस्थान (लखनऊ), कुंदकुंद भारती प्राकृत अकादेमी, टाइम्स सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज़, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया रिलीफ़ फ़ंड की प्रबन्ध समितियों के सदस्य; साहू जैन कॉलेज, रमा जैन कन्या महाविद्यालय, मूर्तिदेवी कन्या विद्यालय, सरस्वती इंटर कॉलेज, महावीर विश्व विद्यापीठ, क्रिसेंथिमम सोसायटी ऑफ़ इंडिया, दिल्ली डहेलिया सोसायटी के अध्यक्ष, प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष (1982-83), इंडियन न्यूज़पेपर्स सोसायटी के अध्यक्ष (1982-83) और इंटरनेशनल क्रिसेंथिमम काउंसिल के अध्यक्ष (1993-95) रहे। विश्व के अनेक देशों की यात्राएँ कीं। साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं खेल-जगत की गतिविधियों में गहरी दिलचस्पी। अध्ययन एवं बागवानी।
रमेश चन्द्रAdd a review
Login to write a review.
Customer questions & answers