अपभ्रंश भाषा और साहित्य - \nअपभ्रंश को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की जननी कहा गया है। भारतीय इतिहास में यह एकमात्र भाषा ही नहीं, अपितु एक ऐसा सहज एवं गतिशील जन-आन्दोलन है जो किसी का संस्कार या वरदहस्त पाये बिना लगभग हज़ार वर्ष तक समस्त भारत को झंकृत करता रहा और हर आधुनिक भारतीय भाषा को नया रूप आकार देते हुए उसे संवर्द्धित करता रहा।\nअपभ्रंश तथा परवर्ती अपभ्रंश भाषा के नये पहलुओं की खोज, सहज विश्लेषण, नाथ और सिद्ध साहित्य, राम-कृष्ण-काव्य, चरित-काव्य, प्रेमाख्यान/रहस्यवाद, श्रृंगार, वीर-काव्य जैसी विधाओं तथा महाकाव्य, खण्डकाव्य, मुक्तक आदि काव्य-रूपों का विस्तृत विवेचन, साहित्य समीक्षा के लिए नये मानदण्डों की स्थापना एवं 'कीर्तिलता' के पाठ, अर्थ और भाषा की समस्या पर विभिन्न कोणों से किया गया परामर्श—सब मिल कर राजमणि शर्मा की यह पुस्तक भाषा के क्षेत्र में एक बड़े उद्देश्य की पूर्ति करती है।\nअपभ्रंश और हिन्दी भाषा साहित्य के अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए अत्यन्त उपयोगी कृति।
डॉ. राजमणि शर्मा - जन्म : सुलतानपुर के गाँव की माटी में 2 नवम्बर, 1940 को। धुन के पक्के संकल्प के धनी, संघर्ष एवं परिश्रम के बीच से जीवन पथ का निर्माण। शिक्षा : सुल्तानपुर की प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा के पश्चात् काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे एम. ए. (हिन्दी) एवं भाषा विज्ञान में द्विवर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा एवं पीएच.डी.। लेखन : 'साहित्य के रूप', 'प्रसाद का गद्य साहित्य', 'आधुनिक भाषा विज्ञान', 'बलिया का विरवा : काशी की माटी', 'अनुवाद विज्ञान', 'काव्यभाषा : रचनात्मक सरोकार' और 'हिन्दी भाषा : इतिहास और स्वरूप', पुस्तकें प्रकाशित। 'समकालीन कहानी : भटकाव से डगर पकड़ती कहानी', 'मुक्तिबोध की रचनात्मक पहचान' और 'दृष्टिकोण' (जयशंकर प्रसाद से सम्बद्ध निबन्धों का संग्रह) प्रकाशनाधीन। लगभग चालीस शोध निबन्ध एवं तीन कविताएँ। योजनाएँ: 'आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी प्रयोग तथा सन्दर्भ कोश' (शीघ्र प्रकाश्य)। दक्षिणी मिर्जापुर ज़िले की बोली भाषा वैज्ञानिक अध्ययन (पूर्ण)। दक्षिणोत्तर भाषाओं के सर्वनाम (कार्यरत)। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा समस्त भारत के स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए हिन्दी पाठ्यक्रम निर्मित हेतु गठित पाठ्यक्रम विकास केन्द्र का संयोजक एवं संयुक्त समन्वयक योजना पूर्ण स्वीकृत एवं क्रियान्वित वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार द्वारा तैयार की जा रही समालोचना शब्दावली हेतु गठित समिति का सदस्य। अन्य : अनेक संगोष्ठियों का आयोजन एवं सहभागिता। विभिन्न पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों में व्याख्यान भारतीय हिन्दी परिषद् की कार्यकारिणी का सदस्य 'इंडो यूरोपियन' एवं 'इंडो अमेरिकन हूज़ हू' में विशिष्ट प्रविष्टि।
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