असाधारण प्रेम कथाएँ - जीनियस वही होता है जो अपनी राह खुद बनाता है। कीर्तिकुमार सिंह से पूर्व हिन्दी के कथाकार प्रेम कथाएँ लिखते तो थे, किन्तु उनके संग्रह प्रकाशित कराने में संकोच करते रहे। कीर्तिकुमार सिंह ने इसके उलट, निर्भीक होकर प्रेम कथा-संग्रह प्रकाशित कराये हैं । उनकी प्रेम कथाएँ कोरी प्रेम गाथाएँ नहीं, बल्कि साहित्यिक कहानियाँ हैं, जिनमें प्रारम्भ से अन्त तक आकर्षण बना रहता है। आकार में लम्बी होने के कारण ये प्रायः लघु उपन्यास का-सा आनन्द देती हैं। रचनाकार ने अपनी यह एक विशिष्ट शैली विकसित की है। उनकी भाषा और कथा में प्रेम की खोज के अनवरत प्रयास ने साहित्य में पसरी एकरसता को तोड़ा है। अपनी विशिष्ट शैली के इस प्रेम कथा-संग्रह की नौ प्रेम कथाओं में प्रेम के विविध रसमय रूप देखने को मिलते हैं । हिन्दी कथा जगत् में इन प्रेम कथाओं को बहुत दिनों तक पढ़ा और सराहा जायेगा ।
कीर्तिकुमार सिंह जन्म : 19 मई 1964 को इलाहाबाद जिले के कोटवा नामक गाँव में। शिक्षा : बी. ए., एम.ए. और डी.फिल. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। शिक्षा में एक मेधावी छात्र के रूप में कई स्वर्ण पदक प्राप्त, जिनमें से एक स्वर्ण पदक 'संयुक्त राष्ट्र संघ' से। कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास और दर्शन के क्षेत्र में सक्रिय। प्रकाशित कृतियाँ : जगद्गुरु कमीनिस्टाचार्य प्रयागपीठाधीश्वर (उपन्यास); अद्भुत प्रेम कथाएँ, दारागंज वाया कटरा, आप बहुत..... बहुत... सुन्दर हैं!, असाधारण प्रेम कथाएँ (कहानी-संग्रह); अधूरी दास्तान, छोटी सी बात, एक टुकड़ा रोशनी, बस इतना, दास्तान दर दास्तान, मेरी प्रतिनिधि लघुकथाएँ, बूँद बूँद बतरस (लघुकथा-संग्रह); उस कविता को नमस्कार करते हुए, कीर्तिकुमार सिंह की दार्शनिक कविताएँ, दिल्ली के दो-पाया कुत्ते, मन्दाकिनी घाटी (कविता-संग्रह): शिवा (कविता- कैसेट); पुरस्कार दर्शन, भारतीय दर्शन में दुःख और मुक्ति (दार्शनिक चिन्तन) । सम्प्रति : अध्यक्ष, दर्शन विभाग, श्यामाप्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), फाफामऊ, इलाहाबाद। सम्पर्क : 15/6, स्टैनली रोड, सिविल लाइंस, इलाहाबाद- 211001 (उत्तर प्रदेश) मो. : 9415094253 ई-मेल : kirti.add123@gmail.com
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