टोबा टेकसिंह का पागल सिक्ख - जो हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बँटवारे को एक अप्राकृतिक बँटवारा मानता है और तस्लीम नहीं करता- दरअसल मण्टो का ही वह रूप है जिसने इस बँटवारे को तस्लीम नहीं किया या जब किया तो अपनी ज़िन्दगी की कीमत चुका कर । मण्टो की नज़र में किशन सिंह और उस कुत्ते में कोई फ़र्क नहीं जो टिथवाल के मोर्चे पर हिन्दुस्तानी और पाकिस्तान सेना के वहशीपन का शिकार होता है। किशन सिंह और टिथवाल का वह कुत्ता- दोनों उस जनता के प्रतीक हैं जिसने इस अर्थहीन राजनीति की वजह से तकलीफ़ सहीं और कुर्बान हुईं।
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