Bastar Bastar

  • Format:
  • ISBN: 9789389373479
  • Author:

‘‘यह उपन्यास बस्तर की ज़िन्दगी और बीते हुए की बड़ी मार्मिक गाथा है। बस्तर सभी को आकर्षित करता है, क्योंकि वहाँ एक बड़ी लड़ाई लड़ी गई। वहाँ बड़ी उथल-पुथल हुई। वह सबसे समृद्ध भारत का इलाका था, जहाँ संसार की बहुत बड़ी लूट लम्बे समय तक दर्ज रही। बस्तर की अपराइजिंग आदिवासियों की लम्बी लड़ाई, जिसके अनेक परिदृश्य हैं। वहाँ आदिवासी संस्कृति मरी नहीं है, वह नुमाइश की चीज़ भले बना दी गई हो, उसके उत्कर्ष को भले चोटें पहुँचाई गई हों। लोकबाबू इस वृत्तांत को उन सबको बता रहे हैं, जिन्हें इसके बारे में नहीं जानते। वे छत्तीसगढ़ के नेटिव हैं। उन्होंने यह उपन्यास आधुनिकता और छद्म शिल्प के ज़रिये नहीं, अपने मर्म से धीरे-धीरे सालों में लिखा है। उनकी कलम से सच्चाई छन-छन कर नहीं रक्त की बूँदों की तरह आई है। स्याही कम लगती है, लहू ज़्यादा खर्च होता है।’’ \n- ज्ञानरंजन, प्रसिद्ध कथाकार और संपादक पहल\n\nलोकबाबू हिन्दी कथा साहित्य के सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। छत्तीसगढ़ अंचल के लोकजीवन को संवेदनशील ढंग से चित्रित करने तथा सामाजिक सरोकारों के लिए आपके कथा साहित्य की विशेष प्रशंसा हुई है। अब तक दो कहानी संग्रह टीले पर चाँद और बोधिसत्व भी नहीं आए तथा दो उपन्यास अब लौं नसानी और डींग प्रकाशित हैं। \nसंपर्क: lokbabu54@gmail.com

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟