भगवान महावीर - \nभगवान महावीर बचपन से ही तेजस्वी थे। वे अहिंसा के प्रबल पक्षधर थे। उनमें सभी प्राणियों के प्रति बचपन से ही अत्यन्त दयाभाव था। अहिंसा का महत्त्व जैन धर्म एवं संसार के सभी धर्मों में व्याप्त है। तीर्थंकर महावीर ने पाँच महाव्रतों का पालन करने की शिक्षा दी, जिसमें ब्रह्मचर्य, सत्य, अपरिग्रह, यानि आवश्यकता से अधिक इकट्ठा न करना और अचौर्य यानि चोरी न करने की शिक्षाएँ शामिल हैं।\nजैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की जीवन कथा को प्रभाकिरण जैन ने बहुत ही मनोयोग से लिखा है। यह पुस्तक भगवान महावीर के जीवन को बहुत ही सरल शब्दों में प्रस्तुत करती है।
प्रभाकिरण जैन - 30 अक्टूबर, 1963 को हरबर्टपुर, देहरादून (उत्तराखण्ड) में जन्म। राजनीतिशास्त्र में एम.ए., डी.फिल.। प्रकाशन: रंग-बिरंगे बैलून (शिशु गीत); वैशाली के महावीर (बाल काव्य) ; गीत खिलौने (बाल गीत); नागफनी सदाबहार है (कविता संग्रह); दस लक्षण (दस रस वर्षण); अनाथ किसान (कहानी); कथासरिता कथासागर, गोबर बनाम गोबर्धन, जमालो का छुरा (कहानी); चहक भी ज़रूरी महक भी जरूरी (डॉ. शेरजंग गर्ग के साथ), वैशालिक की छाया में (राजेश जैन के साथ सम्पादन)। सम्मान/पुरस्कार: हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा बाल साहित्य सम्मान और बाल एवं किशोर साहित्य सम्मान। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर अनेक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों की प्रस्तुति। टी.वी. द्वारा स्वरचित व्यंग्य विनोद के कार्यक्रम का धारावाहिक प्रसारण।
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