Bharat Ki Awaaz

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मुझे लगता है के मुझे हमें देश के लिए एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है ठीक वैसा ही जैसा अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतन्त्रता संग्राम के समय हमारा था। उस समय राष्ट्रवाद की भावना बहुत प्रबल थी। भारत को एक विकसित राष्ट्र से बदलने के लिए आवश्यक यह दूसरा दृष्टिकोण एक बार फिर राष्ट्रवाद की भावना को शीर्ष पर लाएगा।' विकास के लाभ उठाने के बाद अब भारत के लोग अधिक शिक्षा, अधिक अवसरों और अधिक विकास के लिए बेताब है। लेकिन समृद्ध और संगठित भारत के निर्माण का उनका यह सपना कहीं-न-कहीं चूरचूर होता दिखाई दे रहा है: देश को बांटने वाली राजनीति, बढती आर्थिक विषमता और देश तथा उसकी सीमाओं पर मौजूद डर और अशांति के दानव देश के मर्मस्थत्त पर चोट का रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में देश और उसकी अवधारणा की रक्षा कैसे की जाए और विकास के लक्ष्य पर कैसे आगे बढा जाए ने यह पुस्तक कुछ ऐसे ही प्रश्न उठाती है और उनके उत्तर तलाशती है। डॉ. कलाम का मानना है कि किसी भी देश की आत्मा उसमें रहने वाले लोग होते है, और उनकी उन्नति में ही देश की उन्नति है। आदर्शवाद से ओतप्रोत, लेकिन वास्तवता से जुडी भारत की आवाज दर्शाती है कि व्यक्तिगत और राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति समय है, बशर्ते हम इस सिंद्धांत पर को कि "देश किसी भी व्यक्ति या संगठन से बढ़कर होता है" और यह समझे कि "केवल सीमारहित मस्तिष्क ही सीमारहित समाज का निर्माण कर सकते है।"

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