Bharatiya Bhoogol Ka Sankshipt Itihas

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यह पुस्तक भारत के भूगोल के इतिहास की कहानी है। हालाँकि मेरे पास बतौर इतिहासकार न तो कोई औपचारिक प्रशिक्षण है और न ही भूगोल-विज्ञानी की योग्यता, लेकिन फिर भी, मैंने यह पुस्तक लिखी। इस पुस्तक को लिखते समय मुझे ऐसा लगता रहा मानो मैं बरसों से इस पुस्तक को लिखने की तैयारी कर रहा था। इससे जुड़े विचार, तथ्य, संवाद जो शायद वर्षों से मेरे अंतर्मन में दबे-छिपे पड़े थे इस पुस्तक के हर अध्याय के साथ एक-एक करके बाहर आ गए। अर्थशास्त्री के तौर पर मेरा व्यवसाय, पुराने नक्शों और वन्य जीवन के प्रति मेरा प्रेम, शहरों के बसाव के बारे में मेरी जानकारी और भारत एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया के अनेक दौरों के दौरान हासिल अनुभव स्वतः ही आपस में घुल-मिलकर एक चित्र बनाने लगे थे। लेकिन इस सबके बावजूद इस इतिहास को लिखना आसान नहीं था। मैंने ढेरों प्राचीन धार्मिक ग्रंथ पढ़े, बहुत से मध्यकालीन यात्रा संस्मरणों को खँगाला और अनेक अकादमिक पत्रों के पन्ने पलट डाले, जो कि अनगिनत ऐसे उलझे विषय थे, जिनका आपस में सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं था। अकसर इन विषयों को सही मायनों में समझने के लिए एक से ज्यादा बार पढ़ना पड़ता था और यह एक अच्छी-खासी मेहनत थी; लेकिन मैंने इस मेहनत से कभी परहेज नहीं किया, क्योंकि इस पुस्तक में लिखी हर बात मेरे दिलो-दिमाग पर छाई हुई थी।

Currently the global strategist of one of the world's largest banks, Sanjeev Sanyal divides his time between India and Singapore. A Rhodes Scholar and an Eisenhower Fellow, he was named Young Global Leader for 21 by the World Economic Forum. He has written extensively on economics, enviornmental conversation and urban issues, and his first book, "The Indian Renaissance: India's Rise After a Thousand Years of Decline, "was published by Penguin in 28.

SANJEEV SANYAL

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