हजारों साल बाद भी भारतीय संस्कृति का जीवंत रूप देखना है तो इंडोनेशिया जाना चाहिए। नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर और विशिष्ट संस्कृतिवाला इंडोनेशिया बड़े वर्ग को आकर्षित करता है। न केवल इंडोनेशिया ने अपने को भारत की अमर सनातन संस्कृति से जोड़ा है, बल्कि उसे समृद्ध बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। धर्म, संप्रदाय, भाषा, क्षेत्र और जाति की परिधि में अपने को समेटकर हम लालच में पड़कर नैतिकता को छोड़ पतन की तरफ जा रहे हैं। ऐसे में इंडोनेशिया ने न केवल भारतीय संस्कृति को सहेजकर रखा है, बल्कि उसे संरक्षित, संवर्धित करने में सफलता पाई है। इस पुस्तक में इंडोनेशिया-भारत की प्रगाढ़ मित्रता, सामरिक साझेदारी का उल्लेख है, वहीं इंडोनेशिया के भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक पक्ष को सुधी पाठकों के समक्ष रखा है। इसमें इंडोनेशिया की संस्कृति, शिक्षा, परंपराओं, इतिहास और इस देश की विकास की कहानी को पाठकों से साझा किया गया है। बदलते विश्व परिदृश्य में भारत-इंडोनेशिया की सामरिक मित्रता, बढ़ते व्यापारिक रिश्तों के साथ-साथ एशिया में इंडोनेशिया-भारत की बढ़ती भूमिका और दक्षिण-पूर्व प्रशांत क्षेत्र में विश्व शांति की स्थापना में दोनों देशों की साझी नीतियों और उनके योगदान की चर्चा की है। इस कृति से दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे के निकट आने में मदद मिलेगी|
श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का पहला काव्य-संग्रह ‘समर्पण’ सन् 1983 में प्रकाशित हुआ था। अब तक उनकी कविता, कहानी, उपन्यास, पर्यटन, व्यक्तित्व विकास विषयक कुछ 70 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। श्री ‘निशंक’ के साहित्य पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक 10 शोध एवं 12 लघुशोध कार्य हो चुके हैं और कई अन्य हो रहे हैं। उनके साहित्य का अनुवाद जर्मन, क्रिओल, स्पेनिश, फ्रैंच, नेपाली आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, बांग्ला, संस्कृत, गढ़वाली सहित देश की अनेक भाषाओं में हुआ है। उनकी रचनाएँ मॉरीशस, थाईलैंड, जर्मनी, नॉर्वे आदि देशों सहित भारत के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित की गई हैं। उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए भारत के 3 राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मान एवं 12 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों तथा प्रधानमंत्रियों द्वारा अपने देश में आमंत्रित कर सम्मान। संप्रति: शिक्षा मंत्री, भारत सरकार।.
Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’Add a review
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