भारतीय राजनीतिक नेताओं के लिये चुनौती-क्या वे इसके लिये सक्षम, योग्य, इच्छुक एवं उद्यत हैं कि वे सम्पूर्ण भारत की समस्त जनता की सभी आवश्यकताएं जिसकी जनता सुपात्र है पूरी कर सकें? इस पुस्तक में, एक संक्षिप्त प्रारम्भिक प्रस्तुतिकरण के पश्चात् भारतवर्ष की वर्तमान स्थिति का समीक्षात्मक तथा तथ्यपूर्ण विश्लेषण किया गया है जिससे यह सरलतापूर्वक समझा जा सकता है कि भारत में सभी प्राकृतिक सम्पदा एवं प्रतिभावान व्यक्तियों के होते हुए भी क्यों अधिकांश भारतवासी कठिनाइयों से भरा जीवन व्यतीत करने को विवश हैं। इसके उपरांत भारत तथा भारतवासियों के लिये एक भव्य दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है- जो कि 5 से 8 वर्ष में भारत का स्थान संयुक्त राष्ट्रसंघ की मानवीय विकास सूची में वर्तमान 135वें से अग्रसर कर प्रथम 10 राष्ट्रों में प्रस्थापित करने का दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोणिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिये एक मौलिक रूपान्तरण कार्यक्रम, जिसमें समाधन के रूप में लगभग 100 अत्यंत विशाल योजनाओं तथा उनकी कार्यान्वयन कूटनीति का वर्णन है, की चर्चा की गई है। रूपान्तरण कार्यक्रम मौलिक है क्योंकि यह अग्रलिखित विशिष्टताओं से परिपूर्ण है - उन्नत, व्यापक, संघटित, सशक्त, असाधरण, प्रगतिशील, नवप्रवर्तनशील, प्रबल एवं सम्पूर्ण । साथ ही समाधन, सूत्र, कार्यप्रणाली तथा तकनीक सहित कार्यान्वयन कूटनीति, जो कि पश्चिम यूरोप के विकसित देशों में कार्यान्वित, उपलब्ध तथा सिद्ध प्रतिरूपों पर आधरित है, का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इनका उपयोग भारतवर्ष में चमत्कारिक रूप से तीव्र एवं संतुलित विकास के लिये किया जा सकता है जिससे सम्पूर्ण भारत में समस्त 100 प्रतिशत जनता का जीवन-स्तर 100 गुना श्रेष्ठतर हो। यह पुस्तक सभी वयस्क नागरिकों विशेषतः निम्नलिखित वर्ग के लोगों के
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