भारतीय मुसलमान इतिहास का सन्दर्भ 1 - नवजागरण पर एकाग्र होकर लम्बे समय तक काम करने के पोछे मेरी सोच यही रही है कि हमारी मौजूदा समस्याओं के अनेक सूत्र हमारे निकटतम अतीत में हैं तो कुछ की जड़ें सुदूर इतिहास में। निकटतम अतीत हमें मौजूदा समस्याओं को समझने और सुधारने में इस तरह भी मदद कर सकता है कि हम देखें कि हमारे पूर्वजों ने अपने समय में समस्याओं को किस तरह सुलझाया था। अगर हम उनसे ज़्यादा विवेकवान होने का दम दिखायें तब हमें उनकी चूकों से बचते हुए मौजूदा समय को आगे के लिए कम-से-कम समस्याओं वाला समय तो बना ही सकते हैं। इसमें शक नहीं कि ईमानदारी और मिल्लत हो तो ऐसा किया जा सकता है। यह बात अलग है कि संकट नीयत और व्यक्तित्व का है। अब इतनी बात तो है कि नवजागरण हमें इसका स्पेस तो मुहैया कराता ही है। मोटे तौर पर भारत में इस्लाम का प्रसार दो तरीकों से हुआ। एक तो सूफ़ीवाद की प्रेमिल भावधारा वाली आध्यात्मिकता साहित्य और संगीत के माध्यम से समाज तक पहुँची तो दूसरी धारा राजनीति के माध्यम से समाज तक आयी। पहलेवाले माध्यम को लेकर हिन्दी में भी विपुल मात्रा में उत्कृष्ट कार्य हुए हैं और वह परम्परा समाज के रग-रग में पसरी हुई है। सच पूछिए तो जिस साझी संस्कृति की बात होती है, उसकी प्राणधारा इसी परम्परा से प्रवाहित होती है, जिसकी एक समृद्ध विरासत है, जिस पर भारतीय समाज को गर्व है और सहजीवन की यह मिसाल उसे पूरी दुनिया में आज भी अद्वितीय बनाये हुए है। यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि दुनिया में भारत ही ऐसा इकलौता देश है जिसमें इस्लाम की तमाम पन्थिक धाराओं के अनुयायी मौजूद हैं। ऐसा गौरव और किसी देश को हासिल नहीं है। विरोधाभासों से भरे इस विशाल देश में विभिन्न जातियों, नस्लों और धर्मों का जमावड़ा परस्पर सौहार्द और निजता के साथ मौजूद है। 'भारतीय मुसलमान इतिहास का सन्दर्भ' तथा 'भारतीय मुसलमान नवजागरण का सन्दर्भ' (भाग एक और भाग दो) पुस्तकें सौहार्द और निजता की परिणति स्वरूप ही लिखी गयी हैं।
कर्मेन्दु शिशिर - जन्म: 26 अगस्त, 1953; उनवाँस, बक्सर (बिहार) शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी)। प्रकाशित कृतियाँ: बहुत लम्बी राह (उपन्यास), कितने दिन अपने, बची रहेगी ज़िन्दगी, लौटेगा नहीं जीवन (कहानी-संग्रह), नवजागरण और संस्कृति, राधामोहन गोकुल और हिन्दी नवजागरण, हिन्दी नवजागरण और जातीय गद्य परम्परा, 1857 की राजक्रान्ति विचार और विश्लेषण, भारतीय नवजागरण और समकालीन सन्दर्भ, निराला और राम की शक्ति पूजा (शोध-समीक्षात्मक लेख, आलोचना)। सम्पादन: भोजपुरी होरी गीत (दो भाग), सोमदत्त की गद्य रचनाएँ, ज्ञानरंजन और पहल, राधामोहन गोकुल समग्र (दो भाग), राधाचरण गोस्वामी की रचनाएँ, सत्यभक्त और साम्यवादी पार्टी, नवजागरण पत्रकारिता और सारसुधानिधि (दो खण्ड), नवजागरण पत्रकारिता और मतवाला (तीन खण्ड), नवजागरण पत्रकारिता और मर्यादा (छह खण्ड), पहल की मुख्य कविताएँ और वैचारिक लेखों का संकलन (दो भाग)। 18 पुस्तिकाएँ और समकालीन कविता, कहानी पर आलोचना लेख। यात्रा: हाईडलबर्ग, बर्लिन, स्टुटगार्ट, पेरिस, प्राग, तुइबिंगन।
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