BHASHA MEIN NAHIN

  • Format:

सपना भट्ट की कविताओं से गुजरते हुए वाल्टर पीटर होराशियो का यह कथन कि ‘All art constantly aspires towards the condition of music’ बराबर याद आता है। समकालीन कविता में ऐसी संगीतात्मकता बिरले ही दिखाई पड़ती है। यह कविताएँ एक मद्धम सिम्फनी की तरह शुरू होती हैं, अन्तर्निहित संगीत और भाषा का सुन्दर वितान रचती हैं और संगीत की ही तरह कवि मन के अनन्त मौन में तिरोहित हो जाती हैं। पूरे काव्य में ध्वनि, चित्र, संकोच, करुणा, विनय और ठोस सच्चाइयाँ ऐसे विन्यस्त कि कुछ भी अतिरिक्त नहीं। यह कविताएँ ठण्डे पर्वतों और उपत्यकाओं के असीमित एकान्त के बीच से जैसे तैरती हुई हमारी ओर आती हैं। इन सुन्दर कविताओं में कामनाहीन प्रेम की पुकारें, रुदन, वृक्षों से झरती पत्तियाँ और इन सब कुछ पर निरन्तर गिरती बर्फ जैसे अनगिनत विम्ब ऐसे घुले मिले हैं कि चित्र और राग संगीत, एकसाथ कविताओं से पाठक के मन में कब चले आते हैं पता ही नहीं चलता। यह कविताएँ किस पल आपको अपने भीतर लेकर बदल देती हैं यह जानना लगभग असम्भव है।

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟