Bimb Pratibimb

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बिम्ब प्रतिबिम्ब -\nमराठी के वरिष्ठ उपन्यासकार और लेखक चन्द्रकान्त खोत द्वारा लिखित महापुरुषों के जीवन पर आधारित अनेक उपन्यासों में से एक है - स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर आधारित आत्मकथात्मक बृहद् उपन्यास 'बिम्ब प्रतिबिम्ब'। विवेकानन्द पर अधिकांश भारतीय भाषाओं में बहुत कुछ लिखा गया है, फिर भी उनके जीवन के कई ऐसे पहलू हैं जिनसे आम पाठक आज भी अनभिज्ञ है। बिम्ब प्रतिबिम्ब में ऐसे कई रोचक प्रसंग हैं जो न केवल पाठकों को गुदगुदाते हैं, उन्हें आत्मविभोर भी करते हैं।\nलेखक ने इस उपन्यास के माध्यम से हमारी विविधतापूर्ण संस्कृति में भारतीयता की मूलभूत ऊँचाइयों को बड़ी शिद्दत से स्वर दिया है। मानवीय गुणों के प्रति समर्पण का भाव कथानक की धारा में आदि से अन्त तक देखा जा सकता है। स्वामी विवेकानन्द, गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस, उनके गुरुबन्धु, स्वामीजी का देश-विदेश भ्रमण और देश की तात्कालिक परिस्थितियाँ । सभी कुछ प्रस्तुत कृति में एक ही जगह समाहित करने का लेखक का प्रयास रहा है। रामकृष्ण और विवेकानन्द दोनों स्वच्छ आईने की तरह हैं, जिनकी बिम्ब और प्रतिबिम्ब के रूप में प्रस्तुति हमारे आज के समाज के लिए एक आदर्श उदाहरण है।\nस्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती वर्ष पर पाठकों को समर्पित है एक अत्यन्त पठनीय और रोचक प्रसंगों से भरी जीवन-गाथा – 'बिम्ब प्रतिबिम्ब' ।

मूल लेखक चन्द्रकान्त खोत - जन्म: 7 सितम्बर, 1940 । चन्द्रकान्त खोत मराठी के वरिष्ठ एवं चिर-परिचित साहित्यकार, सफल सम्पादक के साथ ही एक हस्ती एवं अवलिया व्यक्तित्व के धनी भी थे। मुम्बई विश्वविद्यालय से मराठी और संस्कृत साहित्य से एम.ए. करने के बाद प्रवाह से हटकर पठन-पाठन करते हुए मराठी लिटिल मॅगझिन आन्दोलन में कई वर्षों तक सक्रिय रूप से सहभागिता करते रहे। किताबी पात्रों एवं अपने मन से सतत मानसिक संघर्ष करते हुए किसी भी विषय पर लेखन एवं शब्द से उन्हें परहेज़ नहीं रहा। उनके लेखन में गहन शोध, चिन्तन-मनन, तात्विक भाव एवं वैज्ञानिक आधार का समावेश है। कविता, कहानी, अध्यात्म, बाल साहित्य, उपन्यास इत्यादि विधाओं में लेखन। फ्रेम से हटकर लेखन के कारण अस्सी-नब्बे के दशक में ख़ासे चर्चित रहे। मराठी नाट्य एवं सिने जगत में भी बतौर गीतकार एवं सहायक निर्देशक हाथ आज़माया। जीवन के अन्तिम पड़ाव में आध्यात्मिक लेखन करते हुए क्रान्तिकारी सृजन किया। वृद्धावस्था में नियति से संघर्ष करते हुए साईबाबा के मन्दिर में विपन्नावस्था में फ़कीरी जीवन गुज़र-बसर करने को मज़बूर रहे। प्रकाशित कृतियाँ : मर्तिक, अपभ्रंश (कविता संग्रह), दुरेघी (लघु उपन्यास चिचुंद्री और मेंढीकोट का समन्वय), उभयान्वयी अव्यय, बिनधास्त, विषयान्तर, चनिया मनिया बोर, अंकाक्षर ज्ञान; बिम्ब प्रतिबिम्ब, दोन डोळे शेजारी, संन्याशाची सावली, अलख निरंजन, अनाथांचा नाथ, सत्याचे प्रयोग, हम गया नहीं ज़िन्दा है, गण गणात बोते, मेरा नाम है शंकर (उपन्यास); निवडक अबकडई (लेख संग्रह) आदि। 'अबकडई' के दीपावली विशेषांक का 21 वर्षों तक लगातार सम्पादन। 'करून-करून भागलो...' शीर्षक से अपनी जीवनी लिखने की उनकी मंशा अधूरी रह गयी। सम्मान : भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार, केसरी मराठा संस्था द्वारा गुण गौरव और पुरस्कार, सिद्धी विनायक मन्दिर ट्रस्ट, दादा गावकर सामाजिक प्रतिष्ठान, महाराष्ट्र मंडळ, मुलुंड, एकता कल्चरल अकादमी द्वारा सम्मानित-पुरस्कृत। देहान्त: 10 दिसम्बर, 2014, मुम्बई। रमेश यादव (अनुवादक) - जन्म : 9 अक्टूबर, 1962 को मुम्बई में । मुम्बई विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए.। पत्रकारिता, बैंकिंग, अनुवाद में डिप्लोमा करने के बाद पीएच.डी. के लिए शोध कार्य जारी । साहित्यिक गतिविधियों, पत्रकारिता, अभिनय, समाजसेवा में रुचि। विविध विधाओं में कुल आठ पुस्तकें प्रकाशित। तीन पुस्तकों को महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी का पुरस्कार। बाल साहित्य, अनुवाद और मराठी लोकसाहित्य में विशेष कार्य। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और मुम्बई आकाशवाणी से विविध रचनाओं का प्रकाशन व प्रसारण। राष्ट्रीय परिचर्चाओं में सहभागिता। प्रकाशन : 'लोकरंग' (महाराष्ट्र की लोककलाएँ एवं संस्कृति : एक परिचय), महक फूल-सा मुस्काता चल, कविता की पाठशाला (बाल साहित्य), क : कवितेचा (मराठी बाल साहित्य)। शाहिरीनामा-शाहिरी महाराष्ट्र की लोकगायन परम्परा । अनुवाद: वैकल्य (डॉ. शि.गो. देशपांडे), बिम्ब प्रतिबिम्ब (चन्द्रकान्त खोत), थिरकणारे पंख (डॉ. रमेश मिलन)। कई पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का 'सौहार्द सम्मान 2014', महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी, गुणवन्त कामगार पुरस्कार (महाराष्ट्र सरकार)। कमलेश्वर कहानी पुरस्कार-कथाबिम्ब, विश्व हिन्दी सचिवालय (मॉरीशस), काव्य, प्रथम पुरस्कार इत्यादि। संगीत नाटक अकादमी एवं संस्कृति मन्त्रालय (भारत सरकार) द्वारा शोध अनुदान। महाराष्ट्र के कक्षा पाँच के पाठ्यक्रम 'सुगम भारती' में बाल कविता शामिल।

चन्द्रकान्त खोत अनुवाद रमेश यादव

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