बालेन्दु द्विवेदी : सन् 01 दिसम्बर, 1975 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले के ब्रह्मपुर गाँव में जन्मे बालेन्दु द्विवेदी हिन्दी साहित्य के प्रखर और बहुआयामी रचनाकार हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में और राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने वाले बालेंदु वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार की पीसीएस (अलाइड) सेवा में कार्यरत हैं। उनका साहित्यिक सफ़र मदारीपुर जंक्शन (उपन्यास, 2017) से शुरू हुआ, जिसने उन्हें हिन्दी साहित्य में प्रतिष्ठित पहचान दिलाई। यह उपन्यास पाठकों और समीक्षकों के बीच अत्यन्त लोकप्रिय हुआ और इसे अमृतलाल नागर सर्जना सम्मान सहित कई पुरस्कार प्राप्त हुए। इस उपन्यास की नाटकीयता ने इसे देशभर में एक दर्जन से अधिक मंचीय प्रस्तुतियों और विश्वविद्यालयों में शोध का विषय बना दिया। उनकी अन्य प्रमुख कृतियों में मृत्युभोज (नाटक, 2019), वाया फुरसतगंज (उपन्यास, 2021) और परम्परा में जीवन की खोज (आलोचना) शामिल हैं। उन्होंने प्रिय कथाकार की अमर कहानियाँ : प्रेमचन्द और एक था मंटो जैसे महत्त्वपूर्ण संग्रहों का सम्पादन भी किया है। बालेन्दु का लेखन भारतीय समाज, राजनीति और मानवीय जटिलताओं को गहराई से अभिव्यक्त करता है। उनकी रचनाओं की सबसे बड़ी विशेषता उनकी आंचलिकता और यथार्थवाद है, जो सही मायनों में समकालीन समाज का दर्पण है। विचारशील संवेदनाओं और सजीव भाषा-शैली के साथ उनका साहित्य हिन्दी को नयी ऊँचाइयों तक ले जाने में सक्षम है
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