Cancer Par Vijay Kaise Prapta Karen

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कैंसर का नाम सुनते ही साक्षात् मृत्यु नजर आने लगती है। यह एक ऐसा रोग माना जाता है; जो लाइलाज और अत्यंत कष्‍टकर होता है। इसके संबंध में फैली तमाम भ्रांतियों से न केवल रोगी बल्कि उसके परिजन; मित्रजन व संबंधी भी अज्ञात भय में जीते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में कैंसर विशेषज्ञ लेखिका डॉ. वृंदा सीताराम ने लीक से हटकर कैंसर से जूझने; उसे पराजित करने के लिए कुछ अलग ही तथ्य; व्यवहार एवं विधियाँ सुझाई हैं। पुस्तक कैंसर के मरीजों; उनके परिजनों व मित्रों को इस रोग को सहज और खेल-भावना से लेने की सोच अपनाने तथा विकसित करने की सलाह देती है—एकदम व्यावहारिक व वस्तुपरक। अत्यंत उपयोगी पुस्तक जो कैंसर-पीड़ितों के लिए सच्चा साथी और मित्र साबित होगी।

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