चन्द्रमुखी-\nविश्वास पाटील आधुनिक मराठी के अग्रणी लेखकों में से एक हैं। अपने सामाजिक तथा ऐतिहासिक उपन्यासों के कारण न सिर्फ़ मराठी साहित्य जगत में विख्यात हैं बल्कि हिन्दी, गुजराती और कन्नड़ के साहित्यप्रेमियों के बीच भी लोकप्रिय हैं।\nविश्लेषणपरक इतिहासबोध और संवेदनात्मक सामाजिक सरोकारों के कारण उनकी कृतियाँ एक विशेष कालखण्ड के आरोह-अवरोहों से गुज़रती हुई समय और समाज की वस्तु और जीवन-सत्य से हमें रूबरू कराती हैं।\nप्रस्तुत उपन्यास 'चन्द्रमुखी' में लोकमंच की एक नृत्यांगना चन्द्रमुखी की जीवन यात्रा के संघर्षों और द्वन्द्वों का चित्रण है। कथाकार ने इसके माध्यम से लोकमंच से जुड़े कलाकारों के जीवन और जगत को इस तरह प्रस्तुत किया है कि सहृदय पाठक उनके सुख-दुःख से अपने को तटस्थ नहीं रख पाता। आचरण से भ्रष्ट एवं पाखण्डी लोगों से क़दम-क़दम पर उलझते हुए भी चन्द्रमुखी अपने चरित्र पर आँच नहीं आने देती और अपने 'स्त्रीत्व' की गरिमा बनाये रखती है। विश्वास पाटील की औपन्यासिक कला की परख भी यहीं हुई है।\nविश्वास पाटील के दो बहुचर्चित उपन्यास 'महानायक' और 'पानीपत' के बाद 'चन्द्रमुखी' को प्रकाशित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ प्रसन्नता का अनुभव करता है। आशा है, हिन्दी के सहृदय पाठकों द्वारा यह कृति भी भरपूर सराही जायेगी।
विश्वास पाटील- आधुनिक मराठी साहित्य के यशस्वी उपन्यासकार और नाटककार। जन्म : 28 नवम्बर 1959 को नेरले, कोल्हापुर (महाराष्ट्र) के किसान परिवार में। शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य) और एल.एल.बी.। महाराष्ट्र प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी। 'महानायक' के लेखन के सन्दर्भ में जापान, इटली, थाइलैण्ड, बर्मा, जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस, स्विट्ज़रलैण्ड, इंग्लैण्ड की यात्राएँ कीं। अब तक पचास से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित, जिनमें प्रमुख हैं–केन्द्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार, महाराष्ट्र शासन का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार, प्रियदर्शिनी राष्ट्रीय पुरस्कार, महाराष्ट्र साहित्य परिषद पुरस्कार, नाथ माधव पुरस्कार, मराठी साहित्य सम्मेलन मर्ढेकर पुरस्कार आदि। प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ: 'पानीपत' , 'पांगिरा' , 'झाड़ाझड़ती', 'महानायक'(उपन्यास) और 'रणांगन' (नाटक)। अंग्रेज़ी तथा अनेक भारतीय भाषाओं में कृतियाँ अनूदित। 'पानीपत' और 'महानायक' के हिन्दी अनुवाद भी भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हैं।
विश्वास पाटील अनुवाद डॉ. रामजी तिवारी और रमेशचन्द्र तिवारीAdd a review
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