छोटू जानता है कि साँप कटाई किये गये ख़ाली खेतों में नहीं आते हैं। वहाँ उनको खाने के लिए क्या मिलेगा ? वे तो पोखर की शीतलता में विश्राम करना पसन्द करते हैं। उसे तो कीड़े-मकोड़ों का भी भय नहीं लगता। वह तो घोर अँधेरे में भी किसी भी चीज़ के हिलने-डुलने का अन्दाज़ा लगा सकता है और फिर करट्टूर पहाड़ी से आते हुए प्रकाश की झिलमिलाहट उसके मन को शान्त करने के लिए पर्याप्त है, वह अनजान जीवों को दूर रखने के लिए काफ़ी है। किसी कारणवश पहाड़ी का दीपक यदि नहीं जलाया जाता है, तो उसे लगता है कि उसके साथ धोखा किया गया है और उसे परित्यक्त कर दिया गया है।
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