Color Of Love

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कलर ऑफ लव - \n\n"हद है राजेश, एक मासूम बच्चे से इतनी नफ़रत? अरे, नफ़रत करनी है मुझसे करो लेकिन बच्चे पर तो सारी दुनिया रहम खाती है, उसे प्यार दुलार करती है और एक तुम हो जिसे इतना नहीं दिखा कि यदि पीहू का पैर पड़ जाता तो ख़ूनमख़ून हो जाता। पीह को जाने कितनी चोटें आतीं। धिक्कार है तुम्हें? मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी तुम इतनी नफ़रत करते हो एक बच्चे से।"\n\n'मार दो इसे कुछ खिलाकर ऐसे बच्चे बोझ हैं तुम सब पर आख़िर कब तक तुम इनका ध्यान रख सकोगे? एक दिन जब तुम कुछ नहीं कर पाओगे तब इनका ध्यान कौन रखेगा? अरे इनकी तो शादी भी नहीं हो सकती जो इनका साथी इनका ख़्याल रख सके, तब क्या करोगे? ऐसे जीवन से मौत भली।'\n\nकोई कहता है माँ ने मार दिया, कोई कहता है दादी ने मार दिया यानि जितने मुँह उतनी बातें मगर सच किसी को नहीं पता। मौत वाकई आ गयी थी या जबरन बुलायी गयी थी मगर अब सब रिलैक्स हैं... यह उपन्यास डाउन सिंड्रोम बच्चों, उनके अभिभावकों और उनकी समस्याओं पर आधारित है। डाउन सिंड्रोम बच्चों का जीवन कितना कठिन होता है, उनके अभिभावकों को उनके जन्म से पालन-पोषण तक किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, समाज में इन बच्चों की स्वीकृति/अस्वीकृति कैसे देखी जाती है इन सब समस्याओं पर प्रकाश डाला है। डाउन सिंड्रोम होना क्या मानसिक विक्षिप्तता है अथवा समाज में व्याप्त एक भ्रान्ति? पीहू के जीवन में आने से मीनल और राजेश के सम्बन्धों पर क्या और कैसा प्रभाव पड़ा ? क्या वो एक आम ख़ुशहाल जीवन जी पाया? परिवार ने पीहू को स्वीकारा या नहीं? क्या मीनल अपनी बेटी के लिए जो सपने देखती है, उन्हें पूरा कर पायी? क्या वाकई यह डगर इतनी आसान है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर देगा आपको यह उपन्यास- 'कलर ऑफ़ लव'।

वन्दना गुप्ता - जन्म : 8 जून, 1967 | शिक्षा : वाणिज्य स्नातक (दिल्ली यूनिवर्सिटी) । कविता और अन्य गद्य विधाओं सहित उपन्यास व आलेख लेखन । कविता-संग्रह : बदलती सोच के नये अर्थ, प्रश्नचिह्न... आख़िर क्यों?, कृष्ण से संवाद, गिद्ध गिद्दा कर रहे हैं, भावरस माल्यम, बहुत नचाया यार मेरा, प्रेम नारंगी देह बैंजनी; कहानी-संग्रह : बुरी औरत हूँ मैं; उपन्यास :अँधेरे का मध्य बिन्दु, शिकन के शहर में शरारत; समीक्षा-संग्रह : सुधा ओम ढींगरा : रचनात्मकता की दिशाएँ, अपने समय से संवाद (केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के सौजन्य से प्रकाशित); ई-कहानी संग्रह : अमर प्रेम व अन्य कहानियाँ; ई-कविता संग्रह : ये बेहया बेशर्म औरतों का ज़माना है स्टोरी मिरर ऑनलाइन पोर्टल पर । साझा संकलन : अन्तिम पड़ाव, कितने गुलमोहर, गूँगे नहीं शब्द हमारे (कहानी) सहित 18 साझा संग्रहों में कविताएँ व 12 साझा संग्रहों में आलेख, समीक्षा, व्यंग्य आदि प्रकाशित । प्रकाशित रचनाएँ : सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं तथा वेब माध्यमों आदि पर कहानी, कविता, समीक्षा और आलेख प्रकाशित । कविता कोश, हिन्दी समय, भारतकोश पर कविताएँ सम्मिलित । आल इंडिया रेडियो पर कविता पाठ। सम्मान : शोभना सृजन सम्मान, हिन्दुस्तानी भाषा साहित्य समीक्षा सम्मान, श्रेष्ठ सृजन हेतु आखर सम्मान, मानव रत्न अवार्ड आदि से सम्मानित । मो. : 9868077896 ई-मेल : rosered8flower@gmail.com

वन्दना गुप्ता

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