देवशिशु - \nअनुपूर्वा अमेरिका से भारत अनिच्छा से वापस आयी थी। वह वहाँ कला शिक्षक के रूप में अपना व्यवस्थित जीवन जी रही थी।\nवह अमेरिका के आरामदायक उपनगरीय जीवन से स्थानान्तरित होकर आयी थी। उसे यह तनिक भी आभास नहीं था कि उसका भारत वापसी का फ़ैसला जीवन को बिल्कुल बदल देनेवाला साबित होगा।\nएक बार उसकी कॉलेज की पुरानी साथी ने उसका परिचय 'सेरिब्रल पलसि' से पीड़ित बच्चों के स्कूल 'आशा ज्योति' से कराया।\nयहाँ आकर उसे न जाने क्या लगा कि उसने अस्थायी आर्ट टीचर के रूप में स्वयंसेवक बनने का फ़ैसला ले लिया। अनुपूर्वा बच्चों को सिखाने लगी कि कैसे चित्र बनाकर उसमें रंग भरते हैं आदि-आदि; लेकिन उसे क्या पता था कि बच्चे अनजाने में उसे जीवन का वास्तविक पाठ पढ़ा रहे हैं——बीमारी से लड़ने, दोस्ती, प्रेम और हँसी का पाठ। बाहर की दुनिया इन्हें भले ही शारीरिक या मानसिक दृष्टि से कमज़ोर समझे, इनके अन्दर कुछ कर गुज़रने की अपार क्षमताएँ हैं।\nअनुपूर्वा और कोई नहीं, स्वयं लेखिका हैं, जिन्होंने इन बच्चों के जीवन के अन्तरंग पहलुओं को बहुत नज़दीकी से जाना-समझा और उसे उपन्यास के रूप में शब्दबद्ध किया। एक बहुत ही रोचक कथानक पहली बार हिन्दी पाठकों के समक्ष।
सुस्मिता बागची - ओड़िया की प्रतिष्ठित लेखिका सुस्मिता बागची का जन्म सन् 1960 में कटक में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद वहीं पर प्राध्यापिका के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। सन् 1980 से अपनी मातृभाषा ओड़िया में अब तक सुस्मिता ने पाँच उपन्यास, सात कहानी-संग्रह और एक यात्रा वृत्तान्त की रचना की है। सम्प्रति वे उड़ीसा की प्रमुख साहित्य पत्रिका 'सुचरिता' की सहयोगी सम्पादक के रूप में कार्यरत हैं। कहानी संग्रह ‘आकाश येउँठि कथा कहे' (जहाँ आसमान बोलता है) के लिए सुस्मिता को सन् 1992 में उड़ीसा साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्रदान किया गया। गंगाधर रथ फाउंडेशन के साथ-साथ कई अन्य साहित्य संस्थाओं की ओर से भी वे कई बार सम्मानित हो चुकी हैं। इसके अलावा साहित्य-सृजन हेतु उन्हें उत्कल सम्मान, विषुब पुरस्कार आदि से भी नवाज़ा गया है। अजय कुमार पटनायक (अनुवादक) —— 1949 में जनमे डॉ. पटनायक की उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई। उड़ीसा के सरकारी कॉलेजों में 33 वर्ष तक अध्यापन। ओड़िया और हिन्दी में समान अधिकार। ओड़िया में 11 पुस्तकें तथा हिन्दी में मौलिक कृतियाँ प्रकाशित। पचास से अधिक आलेख। अनेक पुस्तकों का सम्पादन-अनुवाद।
सुस्मिता बगची अनुवाद अजय कुमार पटनायकAdd a review
Login to write a review.
Customer questions & answers