देवकी - \nलेखक जब व्यक्ति सीमा लाँघकर सार्वजनिक सत्य की तलाश करता है तब साहित्य महिमामय हो उठता है। ओड़िया लेखिका प्रतिभा राय के कथा-लेखन के सन्दर्भ में यह बात सर्वथा सही प्रतीत होती है। उनकी कहानियाँ कल्पना की कोरी क्रीड़ा या भावविलास न होकर पूर्णतः जीवनधर्मी हैं। इन्हें पढ़ते समय हमें एक हल्का सा झटका महसूस होता है—बिजली का सा झटका, जो क्षणिक होकर भी हमारे हृदय पर स्थायी प्रभाव छोड़ जाता है; हमारी चेतना की अलसायी सत्ता को झकझोर जाता है।\nइस संग्रह में प्रस्तुत कहानियों की विभिन्न घटनाओं से लेखिका का प्रत्यक्ष या परोक्ष सम्बन्ध रहा है। दूसरे शब्दों में, कहानियाँ उनकी अन्तरंग अनुभूतियों से जुड़ी हुई हैं। इसलिए इन कहानियों में भले ही जीवन के निष्ठुर सत्य और उससे उपजी विडम्बनाओं का चित्रण है, किन्तु शिवम् और सुन्दरम् की मनोभूमि में प्रतिबिम्बित होने के कारण वह हमें एक उदात्त एवं सुसंस्कृत दृष्टि प्रदान करता है। पाठकों को समर्पित है 'देवकी' का नवीनतम संस्करण, नये रूपाकार में नयी साज-सज्जा के साथ।
डॉ. प्रतिभा राय - भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार, ओड़िशा साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा ओड़िशा के अति महत्त्वपूर्ण साहित्यिक 'सारला पुरस्कार' से सम्मानित डॉ. प्रतिभा राय (जन्म: 21 जनवरी, 1943) का आधुनिक ओड़िया साहित्य में एक विशिष्ट स्थान बन चुका है। रैवेंशा कॉलेज से विज्ञान की स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. के लिए शिक्षा-शास्त्र उनके अध्ययन का क्षेत्र रहा। कुछ वर्षों तक प्राध्यापन; भुवनेश्वर के बी.जे.बी. कॉलेज में शिक्षा शास्त्र विभाग की अध्यक्ष भी रहीं। अनेक सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं से सम्बद्ध। प्रतिभा राय के अब तक 14 उपन्यास और 14 कहानी-संग्रह ओड़िया में प्रकाशित हो चुके हैं। 'याज्ञसेनी', 'अरण्य', 'शिलापद्म', 'अपरिचिता', 'नील कृष्णा', 'आसावरी', 'समुद्र स्वर', 'आदिभूमि' और 'महामोह' उपन्यास तथा 'असाम्प्रत', 'चन्द्रभागा ओ चन्द्रकला', 'श्रेष्ठ गल्प', 'मनुष्य स्वर' एवं 'मोक्ष' कहानी संग्रह विशेष चर्चित हुए। ज्ञानपीठ से प्रकाशित उनकी प्रमुख कृतियाँ है– 'उत्तरमार्ग', 'आदिभूमि' (उपन्यास) तथा 'देवकी' और 'निरुत्तर' (कहानी-संग्रह)।
प्रतिभा राय अनुवाद राजेन्द्र प्रसाद मिश्रAdd a review
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