प्रस्तुत कृति 'धर्म-दर्शन की रूप-रेखा' में धर्म-सम्बन्धी विभिन्न विषयों का तुलनात्मक एवं आलोचनात्मक विवेचन है। पुस्तक दो खण्डों में विभक्त है। प्रथम खंड में धर्म-दर्शन से सम्बन्धित विषयों की अवस्थाएं, धार्मिक चेतना, धर्म की अवस्थाएं, धार्मिक दर्शन के प्रकार, ईश्वर के अस्तित्व-सम्बन्धी प्रमाण, ईश्वर के गुण, अशुभ की समस्या, अमरत्व का विचार, रहस्यवाद, धर्म का मानसिक आधार, धर्मों की एकता, धार्मिक ज्ञान, सत्तामूलक निरीश्वरवाद, धार्मिक विश्वास, इहलौकिकवाद, धर्म-परिवर्तन, विश्व-धर्म और धार्मिक सहिष्णुता तथा धार्मिक भाषा की सार्थकता आदि मुख्य हैं। द्वितीय खण्ड में विभिन्न ऐतिहासिक धर्मों को सम्यक् रूप से प्रस्तुत किया गया है।
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Harendra Prasad SinhaAdd a review
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