Din Jyon Pahar Ke

  • Format:

दिन ज्यों पहाड़ के - काव्य में प्राय: सपाट बयानी और तल्ख़ प्रतिक्रियाओं में इस परिदृश्य के अनेकशः रूप देखे गये है। किन्तु हिन्दी नवगीत-कविता में लोक संवेदित शब्दावली नये-नये बिम्ब, प्रतीक छोटे-छोटे शब्द पदों में अर्थ की सघनता और छवियाँ लोकपरिवेश को रेश-रेशे में जिये लोकमन की गहरी भावप्रवण-विचारानुभूति की रचनात्मकता, अनूप अशेष के रचाव का अपना वैशिष्ट्य है। 'दिन ज्यों पहाड़ के' में भारतीय जातीय लोक-चेतना और कथित वैश्विकता की अदृश्य-मारकता, व्यवस्था की नित नयी पररक्तजीविकता अपने अलग प्रतीकात्मक रूप में अभिव्यक्त हुई है। इस संग्रह की नवगीत-कविताओं के जातीय संस्करों ने न सिर्फ़ उसे अपनी ज़मीन और जड़ों से जोड़े रखा है बल्कि वह काव्य-शक्ति भी प्राप्त की जिसके अभाव में कोई भी रचना संकुचित, सीमाबद्ध दृष्टि का शिकार होकर असमय ही काल का ग्रास बन जाती है। अनूप अशेष की नवगीत-कविताओं की लोक संवेदना मनुष्यगत संवेदना है। इन नवगीतों का लोक कोई एक विशेष अंचल नहीं, सांस्कृतिक रूप से भारतीय जीवन अंग है। ये नवगीत-कविताएँ अदिम-विम्बों की नयी सृष्टि भी करती है। लोक-लय की इनकी तलाश मनुष्य की सहज-चेतना की तलाश है। अनूप अशेष सर्वसाधारण के जीवन और संघर्ष से अपनी नवगीत-कविता की सामाजिकता निर्धारित करते हैं। चार दशकों से अधिक कालावधि को समेटे कवि अनूप अशेष के रचना संसार से गुज़रना अपने भाव अहसास और विचार-उत्ताप का उसी तरह साक्षात करना है।—डॉ. सत्येन्द्र शर्मा

अनूप अशेष - जन्म: 7 अप्रैल, 1945, ग्राम सोनारा, सतना (म.प्र)। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी साहित्य)। प्रकाशित कृतियाँ: 'लौट आयेंगे सगुन-पंछी', 'वह मेरे गाँव की हँसी थी', 'हम अपनी ख़बरों की भीतर', 'सफ़र नंगे पाँव का', 'आदिम देहों के अरण्य में घर', 'इन बसन्त मोड़ों पर' (नवगीत संग्रह), 'बांघव-राग', 'दुपहर', 'महाँकन मा उपनहें' (बघेली नवगीत-संग्रह), 'अन्धी-यात्रा में' (काव्य-नाटक) तथा 'माण्डवी कथा' (प्रबन्ध काव्य)। डॉ. शम्भुनाथ सिंह सम्पादित 'नवगीत दशक-2', 'नवगीत अर्द्धशती' तथा डॉ. बलदेव बंशी सम्पादित 'काली कविताएँ' एवं 'ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद-3' में संकलित कवि। सन् 1971 से धर्मयुग, दिनमान, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, रविवार, नया प्रतीक, गगनांचल, साक्षात्कार माध्यम, वागर्थ, नया ज्ञानोदय, सांध्य मित्रा, समकालीन भारतीय साहित्य, पाखी, कथाक्रम, वसुधा, पहल, वर्तमान साहित्य, दस्तावेज़, सेतु, समावर्तन, अकार आदि प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में नवगीतों का निरन्तर प्रकाशन।

अनूप अशेष

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟