एक साहित्यिक की डायरी - ऐसी कृतियाँ बहुत नहीं होतीं जो अपने समकालीन साहित्य का श्रीवर्धन कर सकें। 'एक साहित्यिक की डायरी' एक ऐसी कृति है, जिसने अपने शिल्प और विचारतत्त्व दोनों की विशेषता के कारण पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है और आदर-मान पाया है। डायरी विधा का यह रूप तो इसी में देखने को मिलेगा। जैसे निबन्धात्मक कहानी वैसे यह निबन्धात्मक डायरी। निबन्ध—सीधा-सादा प्रारम्भ, फिर कहीं एकालाप, कहीं एक काल्पनिक पात्र से वार्तालाप, पर आदि से अन्त तक भाव और स्वर डायरी का। और प्रत्येक प्रकरण का प्रत्येक क्षण और प्रत्येक चरण इस प्रयोजन की पूर्ति के लिए कि विषय की परतें हल्के-हल्के खुलती हुई प्रश्नों और प्रश्नों के भीतर के प्रश्नों से साक्षात्कार करा दें और फिर हम भी सोचें और समाधान के अन्वेषी हों।
गजानन माधव मुक्तिबोध - जन्म: 13 नवम्बर, 1917, श्योपुर (ग्वालियर)। शिक्षा: नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर । एक प्राध्यापक के रूप में उज्जैन, शुजालपुर, इन्दौर, कलकत्ता, मुम्बई, बेंगलुरु, वाराणसी, जबलपुर, नागपुर में थोड़े-थोड़े अरसे रहे। अन्ततः 1958 में दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगाँव में। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित कृतियाँ: 'चाँद का मुँह टेढ़ा है', 'एक साहित्यिक की डायरी', 'काठ का सपना', 'विपात्र' और 'सतह से उठता आदमी' । अन्य प्रकाशन: 'कामायनी : एक पुनर्विचार', 'भारतीय इतिहास और संस्कृति', 'नयी कविता का आत्म-संघर्ष तथा अन्य निबन्ध', 'नये साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र' । निधन: 11 सितम्बर, 1964, नयी दिल्ली।
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