एक हँसोड़ का हल्फनामा | EK HASOD KA HALFNAMA

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कोरोना महामारी ने हमारे समाज को गहरे और विविध रूप में आक्रान्त किया। लोगों के रहन-सहन, स्वास्थ्य, रोटी-रोजगार से लेकर व्यवहार तक, हर चीज़ पर इसका असर पड़ा। जिन्दगी के प्रतिपल संकट से घिरे होने का अहसास और भविष्य को लेकर ख़ौफ़ का एक भयानक साया हर जगह मौजूद था। कोरोना कालीन विविध प्रसंग और मनुष्य पर पड़ने वाले उनके असर के सन्दर्भ पंकज मित्र की इन कहानियों में प्रतिबिम्बित होते हैं। सावधानी के लिए आया सोशल डिस्टेंसिंग का नुस्खा किस तरह साम्प्रदायिक रंग ले लेता है और दूसरी तरफ बीमार बाबा से पोते को दूर रखने का कारण बन जाता है यह सब एक त्रास के रूप में घटित होता है। तमाम दुश्वारियों और क्षुद्रताओं के बीच लेखक ने मानव व्यवहार के कई उजले उदाहरण भी पेश किये हैं। एक रचनाकार के रूप में यह पंकज मित्र की सकारात्मक दृष्टि का परिचायक है। यह गौरतलब है कि इन कहानियों में ऐसे पात्र समाज के विपन्न वर्ग से आते हैं। रसप्रिया पर बज्जर गिरे रेणु की प्रसिद्ध कहानी रसप्रिया का रीमेक है जिसे वह बतौर चैलेंज स्वीकार करते हुए अपनी रचनात्मक सामर्थ्य का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।

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PANKAJ MITRA

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