Ganeshshankar Vidyarthi - Volume 1 & 2

  • Format:

दुबले-पतले शरीर में कैद एक बहुत बड़ी हस्ती, पद की लालसा से मुक्‍त, पैसे के प्रलोभन से परे और प्रतिष्‍ठा की प्यास से कहीं ऊपर; लेखक, पत्रकार, राजनीतिज्ञ, शिक्षक, वक्‍ता, संगठनकर्ता, एक छटपटाती आत्मा, न्याय के लिए संघर्ष में सुख अनुभव करनेवाले; एक समर्पित जीवन, जो आदर्श के लिए जिया और आदर्श की वेदी पर कुरबान हो गया।\n\nगणेशशंकर विद्यार्थी एक बहुमुखी व्यक्‍तित्व, जिसका काम था देशवासियों को जगाना, शिक्षित करना, लामबंद करना, आजादी की लड़ाई में उन्हें आगे बढ़ाना, प्रोत्साहित करना और ललकारना। संघर्ष उसका पेशा था और जन-साधारण उसका हथियार।\n\nअपने आदर्श की प्राप्‍ति में उन्होंने कभी कठमुल्लापन नहीं बरता। उनका दरवाजा अहिंसावादियों और क्रांतिकारियों दोनों के लिए समान रूप से अंत तक खुला रहा। गुलामी, अन्याय, असमानता, शोषण, छुआछूत, सामंती अत्याचार आदि के खिलाफ संघर्ष में ईमानदारी के साथ जूझनेवाला हर सिपाही उनका अपना था, भले ही उसके द्वारा अपनाये गए संघर्ष के तौर-तरीके उनसे मेल न खाते हों।\n\nबहुमुखी प्रतिभा से संपन्न विद्यार्थीजी के व्यक्‍तत्वि के बहुत से रूप थे और हर रूप हर छवि दूसरी से बढ़कर थ आकर्षक और लुभावनी। अपने जीवन में अपनी ही कलम से अपने अलग-अलग रूपों को समय-समय पर उन्होंने पाठकोंके सामने जिस शक्ल में प्रस्तुत किया था, उनको बटोरकर उस चयन से जो कुछ बन पाया, वह पुस्तक प्रस्तुत है।

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟