गरुड़ और अन्य शोकगीत जितने सघन अनुभव से उपजा संग्रह है, वह आपकी अभिभूति को उतना ही सघन बनाता है। एक ऐसे समय में जिसमें हम सभी अनंत वर्तमान में जीने को लगभग विवश हैं, यह कविता हमें सीमाओं के पार ले जाती है। हमें उस समय की याद दिलाती है जो निरा वर्तमान नहीं है। कवि की दृष्टि शोक के अंतर्गत होने वाली उदासीनताओं, कुछ क्रूर या कम से कम निर्दय पक्षों, अंतर्विरोधों आदि पर भी जाती है और पूरा संग्रह शोक का जो वितान रचता है, वह जीवन जैसा ही विपुल और उत्कट है।
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AMMBER PANDEYAdd a review
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