GEETA PRESS AUR HINDU BHARAT KA NIRMAN

  • Format:

अक्षय मुकुल हमारे लिए अमूल्य निधि खोज लाए हैं। उन्होंने गोरखपुर स्थित गीता प्रेस के अभिलेखों तक अपनी पहुँच बनाई। इसमें जन विस्तार वाली पत्रिका कल्याण के पुराने अंक थे। लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण कई दशकों तक कल्याण के संपादक और विचारक रहे हनुमान प्रसाद पोद्दार के निजी कागजात तक पहुँचना था। इन कागजात के जरिये मुकुल हमें हिन्दुत्व परियोजना के बीजारोपण से लेकर जनमानस में उसे मजबूत किए जाने के पूरे वाकये से रूबरू करवाते हैं। इससे भी आगे वे इसकी जड़ में मौजूद जटिलता तक पहुँचते हैं जहाँ रूढ़िग्रस्त ब्राह्मणवादी हिन्दुओं और मारवाड़ी, अग्रवाल और बनिया समुदाय के अग्रणी पंरॉय \nमदन मोहन मालवीय, गांधी, बिड़ला बंधुओं और गीता प्रेस के बीच की सहयोगी अंतरंगता, किंतु कभी मधुर कभी तिक्त संबंध बिखरे दिखाई देते हैं। यह किताब हमारी जानकारी को बहुत समृद्ध करेगी और आज जिन सूरत-ए-हालों में भारत उलझा है उसे समझने में मददगार साबित होगी।

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟