यह कविता-संग्रह, ‘घर एक नामुमकिन जगह है’, चर्चित युवा कवि सौम्य मालवीय का पहला कविता-संग्रह है। प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ मौजूदा राजनीतिक-सामाजिक यथार्थ में हस्तक्षेप करने का यत्न करते हुए भी वैयक्तिक संवेदनाओं को समझने-बरतने और सार्थक रूप में अभिव्यक्त करने का प्रयास करती हैं। ऐसा करते हुए ये कविताएँ इस सत्य को निभाने और इससे बच पाने की असंभाव्यता को रेखांकित करती हैं कि निजी और सार्वजनीन आपस में रेशा-रेशा गुँथे हुए होते हैं। घर, विज्ञान, शहर, अजनबीयत, सांप्रादायिकता, प्रेम इत्यादि अनुभव क्षेत्रों से गुज़रती ये कविताएँ एक साथ क्षत-विक्षत और समृद्ध होते हुए उस उम्मीद को बुलंद करती हैं जो 'हमें' तमाम विसंगतियों के बावजूद संभव बनाती है। भाषा के स्तर पर भी यह संग्रह उन बेचैनियों को शब्द देने का प्रयास करता है जो हमारे 'प्रतिदिन' को हमसे पराया कर देती हैं और कोशिश करता है कि इन शब्दों के साथ उन सायों के पार हम अपने जीवन की खुरदुरी ज़मीन पर वापस लौट सकेंगे। एक साथ प्रतिरोध और प्रार्थना के भावों को अपने में समोए हुए यह संग्रह पाठकों को ज़रूर पसंद आएगा ऐसी हमारी आशा है।.
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Saumya MalviyaAdd a review
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