Gram Panchayat : Karya va Shaktiyan

  • Format:

यह पुस्तक ग्राम पंचायत: कार्य व शक्तियाँ पंचायती राज व्यवस्था की सम्पूर्ण कार्य-पद्धतियों का गहन अध्ययन और आकलन प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक रेखांकित करती है कि ग्राम पंचायत जो पंचायती राज व्यवस्था का निचला लेकिन महत्त्वपूर्ण स्तर है, इसके द्वारा ही ग्राम समाज अधिक प्रभावित होता है। गाँव के विभिन्न वर्गों को प्रभावित करने वाले कार्य भी इसी के द्वारा लागू किये जाते हैं। ग्राम पंचायत ग्राम सभा की 'एग्जीक्यूटिव बॉडी' है। इसका पंचायती राज व्यवस्था से सीधा सम्बन्ध होता है। प्रधान पंचायत सदस्य प्रत्यक्ष रूप से ग्राम सभा द्वारा चुने जाते हैं। ग्राम पंचायत में निर्णय लोगों की आँखों के सामने लिए जाते हैं जिससे पंचायती राज की पारदर्शिता बनी रहती है। इसलिए ग्राम पंचायतों को उचित अधिकार व शक्तियाँ प्रदान कर गाँव का सर्वांगीण विकास सम्भव है। पुस्तक में यह भी उल्लेख है कि आरक्षण के द्वारा समाज के वंचित वर्गों और महिलाओं को प्रधान व पंचायत सदस्य बनने का जो अधिकार मिला है, उसके ज़रिये वे अपने वर्गों के विकास के साथ-साथ सम्पूर्ण गाँव के विकास के लिए क्या-क्या कर सकती हैं।\n\nयह पुस्तक यह भी दर्ज करती है कि अधिकार के साथ शक्तियाँ कर्तव्य से ही प्राप्त होती हैं। प्रधान जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुना गया गाँव का जो मुखिया होता है, सम्पूर्ण गाँव का विकास या विनाश यानी बहुत कुछ उसके हाथ में निहित होता है। अतः ग्राम प्रधान का कर्मठ, ज्ञानवान, ईमानदार होना अति आवश्यक है। इसी प्रकार ग्राम पंचायत सदस्यों का भी कर्मठ व ईमानदार होना ज़रूरी है, क्योंकि उनकी भागीदारी भी बहुत हद तक ग्राम प्रधान व उसकी गतिविधियों को प्रभावित करती है।\n\nइस पुस्तक में 'ग्रामीण योजनाएँ व पंचायती राज’, ‘ग्राम सभा, पारदर्शिता व समाज विकास', 'ग्राम पंचायत के कार्य व शक्तियाँ', 'हमारी महिला प्रधान' और 'बच्चों का स्वास्थ्य व ग्राम 'पंचायत' विषयों के अन्तर्गत पंचायत सम्बन्धी विभिन्न मुद्दों पर जो बातें की गयी हैं, वह संवैधानिक स्तर पर होने के बाजवूद इस तरह सहज भाषा में हैं कि कोई भी ग्रामीण जन न सिर्फ़ समझ-बूझ सकता है बल्कि अपने अधिकारों, कार्यों और योजनाओं से मिलने वाले लाभ के प्रति जागरूक भी हो सकता है।\n\nकहने की आवश्यकता नहीं कि पंचायती व्यवस्था पर लिखी गयी यह एक ऐसी पुस्तक है जो पठनीय तो है ही, समय-समय पर मार्गदर्शन के लिए उपयोगी और ज़रूरी भी है।

डॉ. महीपाल : भारत सरकार के ग्रामीण विकास मन्त्रालय में कार्यरत डॉ. महीपाल ने 1987 में अर्थशास्त्र में पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की। 1992-94 के बीच दो वर्ष तक उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस, नयी दिल्ली में 'विकेन्द्रीकृत योजना एवं पंचायती राज' विषय पर पोस्ट-डॉक्टरेल शोध का कार्य किया। उनके अध्ययन के विशेष स्रोत हैं-पंचायती राज, विकेन्द्रीकृत योजना, ग्रामीण विकास एवं गरीबी तथा महिला विकास का अध्ययन।

डॉ. महीपाल

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟