हद या अनहद- ‘हद या अनहद' प्रख्यात यान्त्रिक डॉक्टर सुनील कुमार शर्मा की मर्मस्पर्शी कविताओं का पहला संग्रह है जो हद और अनहद दोनों ही गतियों का अनूठा दस्तावेज़ है। हद और अनहद की सरहद पर अवस्थित डॉ. शर्मा की ये कविताएँ आपबीती भी हैं और जगबीती भी। एक तरफ़ तो कवि का निजी गोपन आभ्यन्तर है और परिवार तथा कटम्ब, और दूसरी तरफ़ बाह्य जगत् है अपनी तमाम जटिलताएँ और अन्तर्विरोधों के साथ। माता, पिता, घर-गाँव सब है और महानगर का वह त्रासद जीवन भी जहाँ एक पर एक रखे फ्लैटों में हवा भी मानो सीढ़ियाँ चढ़ते ऊपर पहुँचती है। डॉ. शर्मा एक विलक्षण कवि हैं। सहृदय पाठक स्वयं भी अनुभव करेंगे कि ऐसी कविताएँ अप्रमेय हैं- आये हो पार कर कितनी लम्बी दूरी/ रही बाट जोहती अवलम्बित राह तुम्हारी/ ऐसी पंक्तियाँ छन्द की छाया लेकर गहरे अनुराग को व्यक्त करती हैं और कविता को सहज सम्प्रेषित बनाती हैं। 'घर' और 'रंग' जैसी कविताएँ कुछ अन्य दृष्टान्त हैं-'और मैं रात भर ढूँढ़ता रह गया चाँद में अपना रंग'। -अरुण कमल
डॉ सुनील कुमार शर्मा डॉ. सुनील कुमार शर्मा एक लोक सेवक, शोधकर्ता और लेखक हैं। उन्हें भारतीय रेलवे में, रखरखाव प्रबन्धन, संचालन, प्रोक्योरमेंट, सेवा एवं कूटनीतिक प्रबन्धन, पब्लिक सेक्टर गवर्नेस, मानव संसाधन और आपदा प्रबन्धन से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में बीस वर्षों से अधिक का अनुभव है। वह संगठनात्मक प्रक्रिया डिजाइन और नियन्त्रण एवं तकनीकी उन्नयन में भी शामिल रहे हैं। आपने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं, पुस्तकों और सम्मेलनों में महत्त्वपूर्ण शोधपत्र प्रकाशित किये हैं। आपके शोध रिस्क विश्लेषण और रेसिलिएस प्रबन्धन, उद्योग 4.0, तकनीकी विकास का मानवीकरण, गेम थ्योरी और मिश्रित विधि मॉडलिंग पर केन्द्रित हैं।
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